रेवाड़ी: राजस्थान के अलवर जिले में पड़ने वाले सरिस्का वन्य अभ्यारण से करीब ढाई माह पहले भटककर झाबुआ वन क्षेत्र में आया बाघ वन विभाग के कर्मचारियों के तमाम प्रयासों के बावजूद काबू नहीं आया। बाघ के झाबुआ में ही डटे रहने के कारण आसपास के करीब एक दर्जन गांवों के किसानों के लिए फसल बिजाई करना भी खतरा बना हुआ है। इन गांवों के ग्रामीणों ने रविवार को पंचायत कर डीसी को ज्ञापन देकर बाघ को काबू कराने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग करने का निर्णय लिया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रेस्क्यू टीम में शामिल कर्मचारी बाघ को रेस्क्यू करने की बजाय मौजमस्ती करने में लगे हुए हैं।

पंचायत में 11 गांवों के लोगों ने लिया भाग

झाबुआ के सरंपच मनोज की अध्यक्षता में रविवार को झाबुआ वन क्षेत्र में वन विभाग के कार्यालय के पास ही पंचायत हुई, जिसमें 11 गांवों के लोगों ने भाग लिया। पंचायत के दौरान ग्रामीणों ने कहा कि बाघ को आए हुए लगभग ढाई माह का समय बीत चुका है। यह बाघ 15 अगस्त को सरिस्का से झाबुआ वन क्षेत्र में आया था। रेवाड़ी व राजस्थान वन विभाग की टीमों ने लगातार कई दिनों तक बाघ को रेस्क्यू करने के लिए डेरा जमाए रखा। दो बार बाघ दिखाई दिया, परंतु यह टीमें उसे रेस्क्यू करने में नाकाम रही। कैमरे में लोकेशन का पता चलने के बाद भी अधिकारियों ने बाघ को काबू करने के गंभीरता से प्रयास नहीं किए, जिस कारण अभी तक बाघ को पिंचरे में कैद नहीं किया जा सका।

खेतों में जाना हुआ मुश्किल

जिला प्रशासन की ओर से झाबुआ वन क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी के कारण आसपास के गांवों में लोगों को वन क्षेत्र व खेतों में नहीं जाने की एडवाइजरी जारी की हुई है। पंचायत में वक्ताओं ने कहा कि बाघ तीन-चार कटड़ों को शिकार बनाकर दहशत पैदा कर चुका है। इस समय सरसों और गेहूं की बिजाई का सीजन चल रहा है। अगर किसान खेतों में नहीं जाएंगे, तो वह फसल की बिजाई कैसे करेंगे। प्रशासन को तुरंत इस मामले में कदम उठाते हुए बाघ को रेस्क्यू कराना चाहिए।

फसल खराब करने के लिए आएंगे

वक्ताओं ने वन अधिकारियों की कार्यशैली पर रोष जताते हुए कहा कि बाघ को रेस्क्यू करने के लिए कई किसानों की बाजरे की फसल को नुकसान पहुंचाया गया था। अब किसान सरसों की बिजाई कर चुके हैं। कुछ दिनों बाद सरसों की फसल बड़ी हो जाएगी। अगर उस समय इन टीमों ने बाघ को रेस्क्यू करने के प्रयास किए, तो उनकी फसल को नुकसान पहुंचेगा। रात के समय बाघ के डर से किसान खेतों में जाने से बच रहे हैं।