विधानसभा चुनाव, मोहन भारद्वाज। हरियाणा में पांच अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन पांच से 12 सितंबर तक होंगे। प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। जैसे जैसे चुनाव की तिथि नजदीक आ रही है, टिकटार्थियों की धड़कने भी बढ़ने लगी हैं। भाजपा व कांग्रेस में टिकटों पर घमासान मचा हुआ है। दोनों पार्टियों के प्रमुख चेहरों को छोड़कर एक सीट पर कई कई दावेदार होने से अधिकतर सीटों पर एक अनाज सौ बीमार वाली स्थिति बनी हुई है। टिकट वितरण न केवल दोनों पार्टियों के लिए चुनौती बना हुआ है, बल्कि बगावत का डर भी सता रहा है। दूसरी तरफ इनेलो व कांग्रेस में खामोशी छाई हुई है। जहां दावेदार नहीं होने से चुनाव लड़वाने के लिए दमदार चेहरों का इंतजार है।
पूर्व से पश्चिम, उतर से दक्षिण एक जैसी स्थिति
भाजपा व कांग्रेस के लिए एक अनाज सौ बीमार वाली स्थिति किसी एक सीट पर नहीं, बल्कि पूर्व से पश्चिम और उतर से दक्षिण तक बनी हुई। कुछ सीटों पर तो प्रदेश में राजनीति के बड़े चेहरों को भी नए चेहरों से कड़ी चुनौती मिल रही है। बादशाहपुर में पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह, उचाना में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री बिरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व सांसद बृजेंद्र, हिसार में पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल, रानिया में पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के बेटे एवं कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह, अटेली में केंद्रीय मेंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी एवं पूर्व मुख्यमंत्री राव वीरेंद्र सिंह की पौत्री आरती राव, गन्नौर से पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा, सोनीपत में पूर्व मंत्री कविता जैन जैसे नेताओं को अपनी ही पार्टियों में नए चेहरों से कड़ी चुनौती मिल रही है।
बागियों पर तीन पार्टियों की नजर
भाजपा व कांग्रेस में टिकटों पर मचा घमासान इनेलो, जजपा व आम आदमी पार्टी को खूब रास आ रहा है। 2019 के चुनावों से पहले इनेलो से अलग हुए दुष्यंत चौटाला की जजपा के 10 में सात विधायक विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। इनेलो के पास अभय चौटाला के रूप में एकमात्र विधायक है तो 2019 के विधानसभा चुनावों में खाता नहीं खोल पाने वाली आप पांच अक्टूबर को होने वाले चुनाव में हरियाणा में अपना खाता खोलने का सपना देख रही है। दिल्ली व पंजाब में सरकार चला रही आप, साढ़े चार साल तक भाजपा सरकार में सहयोगी रही जजपा और पूर्व उपप्रधानमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की विचाराधारा पर चलने वाली इनेलो को चुनाव लड़ने के लिए अधिकतर सीटों पर दमदार चेहरों की कमी खल रही है।
चंद्रशेखर रावण की आजाद पार्टी से जजपा और मायावती की बसपा से इनेलो के समझौते के बाद भी दोनों ही पार्टियों की निगाह टिकट वितरण के बाद भाजपा व कांग्रेस से बगावत करने वाले दमदार चेहरों पर लगी हुई हैं। भले ही मंगलवार से आप व कांग्रेस के समझौते की चर्चाएं तेजी से राजनीतिक गलियारों में घूम रही हों, परंतु आम आदमी पार्टी भी फिलहाल 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए बागियों की तरफ टकटकी लगाए बैठी है।