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हरियाणा में शिक्षा के मंदिर विश्वविद्यालय नशा तस्करों के निशाने पर हैं। रोहतक के बाद अब सोनीपत की यूनिवर्सिटी में अफीम की खेती का खुलासा हुआ है। भारी संख्या में यहां से अफीम के पौधे बरामद हुए हैं, लेकिन इनसे अफीम निकाली जा चुकी थी। यह बेहद चिंता का विषय है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन की नाक के नीचे कैसे अफीम की खेती की जा रही थी।

शिक्षा के मंदिर में अफीम की खेती : हरियाणा के रोहतक के बाद अब सोनीपत की एक यूनिवर्सिटी में अफीम की खेती का खुलासा हुआ है। पुलिस ने यूनिवर्सिटी कैंप से अफीम के 400 पौधे बरामद किए हैं और एक माली को गिरफ्तार किया है। वहीं, आशंका जताई जा रही है कि इस काम में और भी शामिल हो सकते हैं। पौधे से अफीम निकाली जा चुकी है। इससे पहले रोहतक की दादा लख्मीचंद यूनिवर्सिटी में अफीम के पौधे मिल चुके हैं। 

1000 वर्ग फीट में लगाए थे अफीम के पौधे

राई एजुकेशन सिटी में वर्ल्ड यूनिवर्सिटी में अफीम की खेती की सोनीपत क्राइम ब्रांच यूनिट-1 को गुप्त सूचना मिली। पुलिस टीम ने छापेमारी कर लगभग 1000 वर्गफीट में फैली अफीम की खेती पकड़ी। पुलिस ने 9 साल से यूनिवर्सिटी में काम कर रहे माली संत लाल को वहां से गिरफ्तार किया। पुलिस को आशंका है कि इस काम में कई और लोग भी शामिल हैं। पुलिस जांच के बाद ही खुलासा होगा कि इस पूरे मामले में कौन-कौन शामिल हैं। इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन को इसकी भनक क्यों नहीं लगी या फिर प्रशासन में से भी कोई शामिल है। 

रोहतक में भी हो चुका है खुलासा 

रोहतक की दादा लख्मीचंद यूनिवर्सिटी में भी दो दिन पहले कैंपस से अफीम के पौधे मिले हैं। अफीम के डोडे निकल चुके हैं और यह तीन-चार महीने पुराने हैं। पुलिस ने कैंपस में आकर जांच तो शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। अब यह बेहद चिंता की बात है कि शिक्षा के मंदिरों में इस तरह अफीम की खेती की जा रही है। 

अफीम की खेती के लिए मिलता है लाइसेंस

हर व्यक्ति अफीम की खेती नहीं कर सकता। इसके लिए वित्त मंत्रालय से लाइसेंस लेना जरूरी होता है। बिना लाइसेंस लिए खेती करने पर सजा का प्रावधान है। किसान कितनी जमीन पर खेती करेगा यह भी सरकार ही तय करती है। लाइसेंस लेने के बाद जिसे अफीम की खेती करनी होती है वह नारकोटिक्स विभाग के इंस्टीट्यूट्स से बीज ले सकता है। नारकोटिक्स विभाग किसानों से अफीम की फसल खरीदता है। 

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