सोनीपत: नागरिक अस्पताल में मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का काम किया जा रहा है। अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में रखी ईसीजी (ECG) मशीन काफी दिनों से खराब पड़ी है। मशीन ठीक से रीडिंग नहीं दे रही। कक्ष में तैनात कर्मचारी कक्ष में आने वाले मरीजों की ईसीजी करते है, तो मशीन ठीक से रिडिंग नहीं दे पाती। मशीन में मरीज के जिंदा होने की कोई प्रक्रिया दिखाई नहीं देती। मृतक की ईसीजी करने पर उसमें हलचल दिखा रही है। जिसके चलते चिकित्सक व स्टाफ कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रबंधन की तरफ से इस संबंध में कोई ठोस कदम न उठाने की बात कही जा रही है।

भवन से लेकर मशीन हो चुकी पुरानी

बता दें कि नागरिक अस्पताल की इमारत से लेकर उसमें स्थापित मशीनरी काफी पुरानी हो चुकी है। करीब तीन साल पहले नागरिक अस्पताल (Civil Hospital) को 100 बेड से बढ़ाकर 200 बेड का किया गया था। सरकार की तरफ से मूलभूत सुविधाओं को बेहतर करने के लिए जिला वासियों के लिए अहम कदम उठाने का काम किया था। लेकिन अस्पताल के निर्माण के दौरान ही उसे 100 बेड के हिसाब से बनाया गया था। ऐसे में कागजों में अस्पताल को 200 बेड का किया जा चुका है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं अस्पताल में दम तोड़ रही है। अस्पताल में स्थापित मशीनरी काफी पुरानी हो चुकी है।

आपातकालीन कक्ष की मशीनरी देर रही गलत रिपोर्ट

नागरिक अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं इस कदर बदतर हो चुकी हैं कि अस्पताल के सबसे महत्वपूर्ण आपातकालीन कक्ष में मशीनरी जवाब दे रही है। कक्ष में रखी ईसीजी मशीन काफी दिनों से गलत रीडिंग दिखा रही है। कक्ष में तैनात कर्मचारी दिन में ओपीडी में स्थापित ईसीजी मशीन से काम चला रहे है। वहीं रात के समय समस्या गंभीर बन जाती है। रात के समय संदिग्ध हालत व हादसों में जान गंवाने वालों को मृत घोषित करने तक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मशीनरी में आई तकनीकी खराबी के चलते परेशानी ज्यादा बढ़ गई है।

मशीनें हो चुकी हैं काफी पुरानी

नागरिक अस्पताल के कार्यकारी प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. गिन्नी लांबा ने कहा कि अस्पताल में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं देने के लिए प्रबंधन प्रयासरत है। मशीनरी में आए छोटे फाल्टों को अपने स्तर पर ठीक करवा लेते है, जबकि ज्यादा खराबी आने पर संबंधित इंजीनियर को बुलाकर मशीनों को ठीक करवाया जाता है। मशीनरी काफी पुरानी हो चुकी है, जिसके चलते बार-बार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस संबंध में उच्च अधिकारियों को समय पर अवगत करा दिया जाता है।