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हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक जनता पार्टी का 75 सीटों का रिकार्ड अभी तक कोई दल नहीं तोड़ पाया है। कांग्रेस ने एक बार 67 सीट जीती हैं, लेकिन रिकार्ड अभी भी जनता पार्टी के नाम पर ही है। अब देखना है कि क्या 2024 में कोई इस रिकार्ड तक पहुंच पाता है या नहीं।

भगवान सिंह राणा, यमुनानगर: हरियाणा की 15वीं विधानसभा के चुनाव में मतदान होने में अब मात्र दो दिन शेष हैं। मगर अभी तक इस चुनाव में प्रदेश भर में किसी भी पार्टी के पक्ष में कोई विशेष लहर नहीं बन सकी। खास बात यह है कि अधिकांश सीटों पर रोमांचक तो कुछ सीटों पर तिकोने और कई सीटों पर सीधी टक्कर होने की संभावना बन रही है। वहीं, सभी राजनैतिक दल अपनी-अपनी पार्टी की प्रदेश में सरकार बनाए जाने का दावा जता रहे हैं। अब देखना यह है कि आठ अक्टूबर को ईवीएम से किस राजनैतिक दल का भाग्य उदय होता है और किसका अगले पांच वर्ष तक अस्त होकर रह जाता है, यह अभी भविष्य के गर्भ में है।

1977 में जनता पार्टी के पक्ष में थी जोरदार लहर

आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा में 1977 के विधानसभा चुनाव को छोड़कर अन्य किसी भी राजनैतिक दल के पक्ष में जोरदार लहर नहीं चली। हालांकि हरियाणा विधानसभा के 1987 में हुए चुनाव में चौ. देवीलाल के नेतृत्व में लोकदल के पक्ष में लहर चली थी और वह 60 सीटें जीतने में सफल हुए थे। मगर इस चुनाव में जनता पार्टी का रिकार्ड ध्वस्त नहीं हो सका था। इसके बाद कई बार चुनाव हुए। मगर उनमें भी जनता पार्टी की जीत के आंकड़े को कोई राजनैतिक दल ध्वस्त नहीं कर सका। इस बार 2024 के चुनाव में कांग्रेस, भाजपा, बसपा व इनेलो गठबंधन और जजपा व एएसपी गठबंधन कितनी सीटें जीतने में सफल हो पाता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

1977 से 2019 तक किस पार्टी को कितनी मिली सीट

हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के आंकड़ो पर नजर डालें तो 1977 के पांचवी विधानसभा चुनाव में प्रदेश में कुल 90 सीटों में जनता पार्टी को 75, वीएचपी को 5 व कांग्रेस को मात्र 3 सीटें मिली। जबकि अन्य 7 सीटें जीतने में सफल हुए थे। वहीं 1982 में छठी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस 36, लोकदल 31, भाजपा 6 और निर्दलीय 17 सीट जीतने में सफल हुए थे। इसी तरह 1987 में सातवीं विधानसभा के चुनाव में लोकदल को 60, भाजपा को 16, कांग्रेस को मात्र 5 सीटें जीतने में सफलता मिली थी। 1991 के आठवीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 51, जनता पार्टी 16, हरियाणा विकास पार्टी 12, जनता दल 3, भाजपा 2, बसपा 1 व निर्दलीय 5 सीटें जीतने में सफल हुए।

2000 में इनेलो को मिला बहुमत

1996 में नौवीं विधानसभा में एचवीपी 33, भाजपा 11, एसएपी 24 व कांग्रेस 9 सीटें जीती। 2000 में दसवीं विधानसभा चुनाव में इनेलो 47, कांग्रेस 22, बीजेपी 6 व अन्य ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की। 2005 में कांग्रेस सर्वाधिक 67 सीटें जीतने में सफल हुई। वहीं, 2009 में कांग्रेस ने 40 सीटें जीती। जबकि इनेलो ने 31, एचजेसी(बीएल) 6 और भाजपा 4 और अन्य 9 सीटें जीतने में सफल हुए। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 47 सीटें जीतने में सफल हुई। मगर इसके बाद पांच अन्य का सहयोग मिलने पर भाजपा 52 सीटों तक पहुंच गई। 2019 के चुनाव में भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस 31 सीटें जीतने में सफल हुई।

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