यमुनानगर: क्षेत्र में तेज बारिश होने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। बारिश होने से निचले इलाकों में पानी भरने से लोग परेशान रहे। वहीं, अनाज मंडियों में पहुंची हजारों क्विंटल धान की ढ़ेरियां पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं होने से बारिश में भीग गई। जबकि खेतों में पहले से नीचे बिछी धान की फसल को नुकसान होने की संभावना बन गई। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को नीचे बिछी हुई धान के खेतों में पानी ठहरने नहीं देने की सलाह दी। मौसम विशेषज्ञों की माने तो जिले में शुक्रवार को औसतन 20 एमएम बारिश हुई।
गलियों में भरा बरसाती पानी
शुक्रवार सुबह नौ बजे तक जिले में आसमान में कहीं कहीं बादल छाए हुए थे। मगर दस बजे के बाद अचानक आसमान में घने बादल छाए और बारिश शुरु हो गई। इस दौरान करीब एक घंटे तक तेज बारिश होने से जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया और निचले इलाकों व सड़कों, गलियों में पानी भरने से लोग परेशान रहे। आलम यह रहा कि गलियों व सड़कों में पानी भरने से शहर की कई कॉलोनियों में जाम की स्थिति बन गई। वहीं, निचले इलाकों में कई घरों में पानी भरने की स्थिति बन गई। लोगों ने किसी तरह अपने घरों में पानी घुसने से रोकने के लिए आनन फानन में इतंजाम किए।
तिरपालों के अभाव भीगा धान
जिले में 13 अनाज मंडियां हैं। शुक्रवार सुबह अनाज मंडियों में हजारों क्विंटल धान बिकने के लिए पहुंची थी। मगर अचानक बारिश होने से खुले आसमान में बिकने के लिए बनाई धान की ढ़ेरियां भीग गई। हालांकि इस दौरान धान की ढ़ेरियों को बारिश से बचाने के लिए तिरपालें आदि डालने का प्रयास किया गया। मगर पर्याप्त तिरपाल उपलब्ध नहीं होने से हजारों क्विंटल धान बारिश में भीग गई।
खेतों में बिछी धान को हुआ नुक्सान
किसानों ने बताया कि पिछले एक पखवाड़े में कई बार तेज बारिश होने से उनके खेतों में धान की फसल खेतों में बिछ गई। जिस पर पिछले दो दिन से बारिश होना किसानों की चिंता बढ़ा रहा है। उनका कहना है कि खेतों में बिछी धान की फसल पर बारिश होने से फसल के नष्ट होने की आशंका बन गई है। उधर, कृषि विशषज्ञ डॉ. विनोद कुमार ने किसानों को नीचे बिछी हुई धान के खेतों में बारिश का पानी अधिक देर तक खड़ा नहीं होने देने की सलाह दी।