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हरियाणा के यमुनानगर में कपोलमोचन तीर्थ स्थल को ब्रह्महत्या से मुक्ति दिलाने वाला धाम माना गया है। एक बछड़े ने अपनी माता गाय को इसके बारे में बताया था। तभी से यह स्थान श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

भगवान सिंह राणा, यमुनानगर: आदिकाल से भारतीय संस्कृति में ब्राह्मण व गुरु को देव तुल्य माना गया है। इनकी हत्या के पाप से पूरे ब्राह्मंड में यदि कहीं मुक्ति मिलती है तो वह स्थान कपाल मोचन तीर्थ स्थल है। इस तीर्थराज पर बने कपाल मोचन सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान करके मानव गुरु व ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो जाता है। यही वजह है कि हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा के अवसर पर तीर्थराज कपालमोचन में आयोजित होने वाले पांच दिवसीय मेले में अपने पापों से मुक्त होने के उद्देश्य से दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचकर पवित्र सरोवरों कपाल मोचन, ऋण मोचन व सूरज कुंड सरोवरों में स्नान करके पुण्य के भागी बनते हैं।

बछड़े ने बताया था ब्रह्महत्या दोष को दूर करने का उपाय

पौराणिक कथा अनुसार तीर्थ राज कपालमोचन के नजदीक भवानीपुर में एक ब्राह्मण ने गऊशाला बना रखी थी, जिसमें एक गाय अपने बछड़े के साथ रहती थी। कार्तिक पूर्णिमा के एक दिन पहले मध्य रात्रि के समय बछड़ा अपनी माता गाय से कहने लगा कि सुबह होते ही उसका मालिक ब्राह्मण उसे बधिया करवाएगा। यदि उसने ऐसा किया तो वह ब्राह्मण की हत्या कर देगा। इस पर गाय ने कहा कि इससे तुम्हे ब्रह्म हत्या का पाप लगेगा। तब बछड़े ने गाय को बताया कि उसे ब्रह्म हत्या का दोष दूर करने का उपाय पता है। उनके नजदीक स्थित कपालमोचन सरोवर में स्नान करने से ब्रह्म हत्या का दोष दूर हो जाता है।

सरोवर में स्नान करने से धुला ब्रह्महत्या का पाप

सुबह के वक्त बधिया करते समय बछडे़ ने ब्राह्मण की हत्या कर दी। ब्रह्म हत्या के कारण बछड़े और गाय दोनों का रंग काला हो गया। तब बछड़े ने गाय माता को अपने पीछे चलने के लिए कहा। जब बछडे़ ने वर्तमान कपाल मोचन सरोवर में गाय माता के साथ प्रवेश किया तो दोनों का रंग सफेद हो गया। केवल पांव कीचड़ में तथा सींग पानी से ऊपर होने के कारण उनका रंग काला रहा गया। इस रहस्य के बारे में माता पार्वती ने भगवान शिव को बताया, जिसके बाद भगवान शिव ने सरोवर में स्नान किया तो उनका ब्रह्म कपाली का दोष दूर हो गया।

ऋषि दुर्वासा ने दिया था बछड़े को श्राप

ब्रह्महत्या का दोष दूर होने पर जब गाय ने बछडे़ से पूछा कि उन्हें इस तीर्थ का कैसे पता चला। तब बछडे़ ने अपने पूर्व जन्म में मनुष्य होने तथा इसी स्थान पर तप कर रहे दुर्वासा ऋषि का मजाक उड़ाने पर दिए गए श्राप से पशु बनने व मुक्त होने की कथा विस्तार से सुनाई। मान्यता है कि कलयुग में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर कपालमोचन सरोवर में स्रान करके हर प्रकार के पापों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसी भावना से देश के कोने-कोने से कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालु कपालमोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर व सूरज कुंड सरोवर में बड़ी श्रद्धा भावना से स्रान करते हैं और सरोवर के तट पर बने मंदिर में गऊ-बच्छा के दर्शन करके अपने जीवन को सफल बनाते हैं।

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