Jharkhand News: बीजेपी में शामिल होने की तैयारी कर रहे झारखंड के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर हेमंत सोरेन सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने राज्य में आदिवासी अधिकारों की उपेक्षा के लिए हेमंत सरकार की आलोचना की। पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि बीजेपी में उनका शामिल होना आदिवासी पहचान और अस्तित्व को बचाने के लिए है, जो बांग्लादेश से बढ़ती घुसपैठ के कारण खतरे में है।

 

'आदिवासी समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा'

  • चंपई ने आगे कहा, "अगर इन घुसपैठियों को नहीं रोका गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। ये लोग आदिवासियों और मूल निवासियों को आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचा रहे हैं।" सोरेन ने पाकुड़, राजमहल जैसे क्षेत्रों का जिक्र किया, जहां इन घुसपैठियों की संख्या आदिवासियों से अधिक हो गई है।
  • उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रखा जा सकता है। इसे एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, ताकि आदिवासियों का अस्तित्व बचाया जा सके। केवल बीजेपी ही इस मुद्दे पर गंभीर है, जबकि अन्य पार्टियां इसे वोट के लिए नजरअंदाज कर रही हैं।"

चंपई ने लगाया था अपमान का आरोप
झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके चंपई सोरेन ने पहले कहा था कि जेल से हेमंत सोरेन की वापसी के बाद उनका अपमान किया गया, जिसे लेकर वे काफी आहत हैं। उन्होंने दावा किया कि उनके मुख्यमंत्री रहते कार्यक्रमों को बिना उनकी जानकारी के रद्द कर दिया गया और उन्हें पार्टी की बैठकों से बाहर रखा गया। इतने अपमान के बाद मुझे एक वैकल्पिक रास्ता तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनके पास तीन विकल्प थे: "राजनीति से संन्यास लेना, अपना अलग संगठन बनाना, या यदि इस रास्ते पर कोई साथी मिले, तो उसके साथ आगे बढ़ना।"

'झारखंड का टाइगर' कहे जाते हैं चंपई
67 वर्षीय आदिवासी नेता चंपई सोरेन को 1990 के दशक में झारखंड राज्य बनाने के संघर्ष में उनके योगदान के लिए 'झारखंड का टाइगर' कहा जाता है। झारखंड 2000 में बिहार के दक्षिणी हिस्से से अलग होकर बना था। चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला था। जब हेमंत सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा दे दिया था।