भोपाल। मध्यप्रदेश के छात्रों के लिए खुशखबरी है। सूबे में 10 प्राइवेट यूनिवर्सिटी खुलने वाली हैं। इनके दस्तावेजों के सत्यापन का कार्य पूरा हो चुका है। अन्य मापदंड की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जल्द मंजूरी मिल जाएगी। प्रदेश में अभी 51 निजी विश्वविद्यालय संचालित हैं। इन विश्वविद्यालयों में 2 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। नई यूनिवर्सिटी के खुलने के बाद विद्यार्थियों का आंकड़ा एक बार फिर बढ़ जाएगा। बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत भारत और दूसरे देशों के जाने-माने संस्थानों के साथ साझेदारी हो रही है। इसके तहत भारत में विदेशी और विदेश में भारतीय यूनिवर्सिटी खोलने की तैयारी है। यूजीसी ने इसके लिए मापदंड बनाए हैं। भारत सरकार और यूजीसी की अनुमति के बाद ही प्रदेश में विदेशी विवि आएंगे। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 10 निजी विवि ने आवेदन किए हैं। 

यूजीसी ने 60 से ज्यादा देशों के भारतीय राजदूतों के संपर्क किया था
जानकारी के मुताबिक, गुजरात में गांधीनगर की गिफ्ट सिटी में हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की दो यूनिवर्सिटी के भारतीय कैंपस की औपचारिक शुरुआत हो गई है। हालांकि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न सहित नौ विवि ने भारत में कैंपस खोलने से इनकार कर दिया है, यूजीसी ने 60 से ज्यादा देशों के भारतीय राजदूतों के साथ संपर्क किया था। इधर आने वाले समय में मध्य प्रदेश में भी 10 नई निजी यूनिवर्सिटी स्थापित होंगी। हालांकि इनमें एक भी विदेशी यूनिवर्सिटी नहीं हैं।

यूजीसी की अनुमति के बाद प्रदेश में विदेशी विश्वविद्यालय भी आएंगे 
निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष ने जानकारी दी है कि एनईपी के तहत भारत में विदेशी विश्वविद्यालय एवं विदेश में भारतीय विवि खोलने के लिए साझेदारी हो रही है। इसके लिए यूजीसी द्वारा मापदंड तैयार किए गए हैं। भारत सरकार और यूजीसी की अनुमति के बाद ही प्रदेश में विदेशी विवि आएंगे।  

छात्रों को विदेश में पढ़ाई करने नहीं जाना पड़ेगा 
जानकरों का कहना है कि मध्य प्रदेश में इकोनॉमी और स्कोप के अभाव में विदेशी विवि आने से कतरा रहे हैं। हालांकि प्रयास चल रहे हैं कि विदेशी यूनिवर्सिटी भी एमपी में खुलें। इनके आने से ऐसे छात्रों को फायदा होगा जो विदेश में पढ़ाई करने जाते हैं। विश्वविद्यालय आने से छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिलेगी। छात्रों को प्लेसमेंट के लिए नहीं भटकना होगा। हालांकि यह लाभ केवल आर्थिक रूप से संपन्न छात्रों को ही मिल सकेगा।