Bhopal green corridor News: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बुधवार को ब्रेन डेड पेशेंट का लिवर और किडनी डोनेट करने 2 ग्रीन कॉरिडोर बनाए गए।  सिद्धांता रेडक्रॉस हॉस्पिटल में भर्ती सागर निवासी महेश नामदेव (53) का लिवर बंसल हॉस्पिटल और किडनी चिरायु हॉस्पिटल ले जाई गई। डॉक्टरों की टीम इस दौरान 4 मिनट में 3.5 किमी की दूरी तय की। महेश को 5 दिन पहले भर्ती कराया गया था। 

एडिशनल डीसीपी ट्रैफिक बंसत कौल ने बताया, बंसल हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम दोपहर 2.30 बजे लिवर लेकर सिद्धांता हॉस्पिटल से रवाना हुई। 4 मिनट में 3.5 किमी का सफर तय किया। दूसरी टीम 2.35 बजे किडनी लेकर चिरायु मेडिकल कॉलेज के लिए निकली। उसने 17 किमी की दूरी 13 मिनट में तय की। किडनी का ट्रांसप्लांट सिद्धांता हॉस्पिटल में भर्ती मरीज को किया जाना है। टीम रवाना होने के 10 मिनट बाद महेश की पार्थिव देह परिजनों को सौंप दी गई। जिसके बाद वह सागर रवाना हो गए।

हार्ट अटैक के बाद ब्रेन हेमरेज 
हार्ट अटैक से ठीक हुए, ब्रेन हेम्ब्रेज से ब्रेन डेड हुए महेश हास्पिटल संचालक डॉ. सुबोध वार्ष्णेय ने बताया, महेश नामदेव हार्ट अटैक से ठीक हो गए थे। 5 दिन पहले वह ब्रेन हेम्ब्रेज के इलाज के लिए भोपाल आए थे। लेकिन ज्यादा ब्लीडिंग के चलते कोमा में चले गए। मंगलवार को ब्रेन डेड हो गए। 

महेश के परिजनों ने उनकी मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद लिवर और किडनी डोनेट करने की इच्छा जताई। जिसके बाद तय प्रोटोकॉल के तहत मेडिकल एक्सपर्ट की टीम ने महेश को ब्रेन डेड घोषित कर नेशनल टिसू एंड ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (NOTTO) को रिपोर्ट भेजी। NOTTO ने मरीज का लिवर बंसल हॉस्पिटल में भर्ती मरीज व किडनी चिरायु हॉस्पिटल मेडिकल कॉलेज और सिद्धांता रेडक्रास हॉस्पिटल में भर्ती मरीज को ट्रांसप्लांट करने की मंजूरी दी है।

छुट्टी के दिन हुआ ब्रेन हेम्ब्रेज
महेश नामदेव सागर के महाराज टोला में रहकर खेती करते थे। मंगलवार को उनकी तबीयत खराब हुई तो सागर के भाग्योदय अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर्स ने बताया कि उन्हें हार्ट अटैक आया है। जिसके भोपाल के सिद्धांता अस्पताल में भर्ती कराया। यहां एंजियोप्लास्टी हुई। दो-तीन दिन ठीक रहे, जिस दिन छुट्टी होनी थी, उसी दिन ब्रेन हेम्ब्रेज हो गया। सर्जरी भी हुई, लेकिन ज्यादा ब्लीडिंग के चलते निधन हो गया। 

करोंद के मरीज को लगेगा लिवर 
महेश नामदेव का लिवर करोंद निवासी मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाना है। डॉक्टर्स ने एक साल पहले सर्जरी की सलाह दी थी। लेकिन, डोनर न मिलने के कारण सर्जरी अटकी हुई थी। जबकि, उनकी एक किडनी चिरायु मेडिकल कॉलेज और दूसरी किडनी सिंद्धांता हास्पिटल में भर्ती मरीज को ट्रांसप्लांट की जानी है। इस तरह से महेश तीन लोगों को जीवन दान दे गए।