Bhopal News : कहने को तो जेपी अस्पताल प्रदेश का पहला मॉडल अस्पताल है, लेकिन यहां के हालात यह हैं कि यहां पर करीब 12 विभागों में 20 विशेषज्ञों को हर दिन एक हजार से 1200 मरीज देखने पड़ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि अस्पताल में विशेषज्ञों के 48 में से 23 पद रिक्त हैं। पदस्थ 27 में से कुछ काल ड्यूटी की वजह से अवकाश पर रहते हैं तो कुछ अन्य तरह के अवकाश पर।
दबाव चिकित्सकों पर रहता है
ऐसे में हर दिन ड्यूटी पर करीब 20 विशेषज्ञ ही होते हैं। कई विभागों में तो एक विशेषज्ञ ही ओपीडी में किसी- किसी दिन रहते हैं। ऐसे में उन्हें 100 से ज्यादा मरीज देखना होता है। ओपीडी के अलावा भर्ती मरीजों को देखने का दबाव चिकित्सकों पर रहता है। तनाव के कारण डॉक्टर-नर्स और मरीज एवं उनके परिजन के बीच विवाद की स्थिति बनती है।
वर्ष 2011 के बाद से स्वीकृत नहीं हुए पद
वर्ष 2011 में जेपी अस्पताल के लिए डॉक्टरों के नए सिरे से पद स्वीकृत किए गए थे। उस दौरान अस्पताल की ओपीडी हर साल करीब सात लाख थी। उस समय अस्पताल में 42 विशेषज्ञ काम कर रहे थे। अब विशेषज्ञों की संख्या घटकर 27 रह गई है। जो डॉक्टर सेवानिवृत हो रहे हैं उनकी जगह किसी नए चिकित्सक की पदस्थापना नहीं की जा रही है। इस वजह से विशेषज्ञों पर दबाव बढ़ रहा है
दो डॉक्टरों के भरोसे इमरजेंसी
जेपी अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी के लिए 11 पद स्वीकृत किए गए थे, जिसमें अब दो ही चिकित्सक हैं। राजधानी होने के नाते यहां के चिकित्सकों को वीआईपी ड्यूटी, मेला और अन्य आयोजनों में लगाई जाती है। दो से तीन चिकित्सक हर दिन पेशी में रहते हैं। रोज करीब पांच चिकित्सकों की इस तरह की ड्यूटी लगाई जाती है।
शासन को प्रस्ताव भेजा है
जेपी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने इस पर जानकारी देते हुए बताया कि विशेषज्ञों और चिकित्सा अधिकारियों की कमी के संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है। अस्पताल की ओपीडी 1200 से 1500 के बीच रहती है। विशेषज्ञों के पास सभी मरीज नहीं पहुंचते, इसलिए दिक्कत नहीं होती।
नहीं बन पाया ड्यूटी रोस्टर
जेपी अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टर्स की ड्यूटी के रोस्टर में तीन साल से
बदलाव नहीं किया था। जबकि ओपीडी के समय में बदल गया है, बावजूद डॉक्टरों की ड्यूटी रोस्टर नहीं बनाया जा रहा है। किस ओपीडी में कितने बजे, कौन सा डॉक्टर, मरीजों को देखेगा। इसकी लिस्टिंग भी अस्पताल के नोटिस बोर्ड पर नहीं लगाई गई है।