Bhopal AIIMS: एम्स भोपाल के आयुष विभाग में अब जर्मनी से भी मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह का मानना है कि एकीकृत स्वास्थ्य पद्धति से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। बवासीर, फिस्टुला, फिशर और पाइलोनिडल साइनस जैसी समस्याओं का आयुर्वेदिक ओपीडी में क्षार सूत्र पद्धति से उपचार किया जा रहा है।

 

जर्मनी की महिला का सफल उपचार
हाल ही में जर्मनी से आयी 32 वर्षीय एक महिला का एम्स भोपाल में क्षार सूत्र पद्धति से फिस्टुला का सफल इलाज हुआ। जर्मनी में दो बार ऑपरेशन करवाने के बावजूद वह पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई थी। इलाज के अन्य तरीकों को तलाशते हुए वह भारत आई और एम्स भोपाल में उसकी तलाश पूरी हुई। महिला ने बताया कि फिस्टुला का इलाज क्षार सूत्र विधि द्वारा केवल भारत में ही संभव है। इस विधि से इलाज में वक़्त लगता है लेकिन तकलीफ कम होती है।

गुदामार्ग समस्याओं का प्रभाव और समाधान
गुदामार्ग में होने वाली समस्याएं जैसे बवासीर, फिस्टुला, गुदा विदर आदि अनगिनत लोगों को प्रभावित करती हैं। ये स्थितियां दर्द, रक्तस्राव, खुजली, मस्से और सूजन जैसे लक्षण पैदा करती हैं। इनके निदान और उपचार के लिए चिकित्सीय परामर्श आवश्यक होता है। इन समस्याओं के जोखिम कारकों में पुरानी कब्ज, आराम तलब जीवन शैली, मोटापा और कम फाइबर वाला आहार शामिल है। प्रभावी प्रबंधन और जटिलताओं की रोकथाम के लिए शीघ्र निदान और उचित उपचार महत्वपूर्ण है।

क्षारसूत्र थेरेपी: एक पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार
क्षारसूत्र थेरेपी एक पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार है जिसका उपयोग मुख्य रूप से फिस्टुला-इन-एनो और अन्य एनो-रेक्टल विकारों के प्रबंधन के लिए किया जाता है। इस न्यूनतम ऑपरेशन वाली प्रक्रिया में क्षारीय हर्बल लेप से तैयार एक औषधीय धागे (क्षारसूत्र) का उपयोग किया जाता है। यह धागा फिस्टुला मार्ग में डाला जाता है और अपने रासायनिक उपचार प्रभाव से फिस्टुला पथ को काटने, निकालने और धीरे-धीरे ठीक करने का काम करता है।