Parshuram birthplace Janapav : भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का छठे अवतार मानते हैं। अक्षय तृतीया पर शुक्रवार को दुनियाभर में उनका जन्मोत्सव मनााय गया, लेकिन उनके जन्मस्थल के बारे में बहुत लोग नहीं जानते होंगे। भगवान परशुराम का जन्म मध्य प्रदेश के महू स्थित जानापाव कुटी में हुआ था।
इंदौर-मुंबई मार्ग पर स्थित यह स्थाल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। हर साल यहां बड़ी संख्या में सैलानी यहां की सुंदरता देखने के लिए आते हैं। धार्मिक पर्यटन के रूप में भी यह क्षेत्र ख्यात है। मान्यता है कि जानापाव में जन्म के बाद भगवान परशुराम शिक्षा ग्रहण करने कैलाश पर्वत गए थे. जहां आदि शंकर ने उन्हें शस्त्र-शास्त्र का ज्ञान दिया था।
इंदौर से 45 किमी दूर है जानपाव
जानपाव पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। एक घने जंगलों से होकर गुजरता है। दूसरा पक्का मार्ग बना है। जानापाव पहाड़ी से चंबल, गंभीर, अजनार और सुमरिया नदियां के साथ बालम, चोरल, कारम और नेकेड़ेश्वरी नदी निकलती हैं। पहाड़ी की चोटी पर परशुराम के पिता जमदग्नि का भी आश्रम बना है। इंदौर से इसकी दूरी 45 किलोमीटर के करीब है।
जड़ी-बूटियों का भंडार
पुजारी ने बताया कि परशुराम की मां रेणुका प्रसिद्ध वैद्य (चिकित्सक) थीं। पहाड़ी पर उन्होंने कई जड़ी-बूटियां उगा रखी थीं। आज भी यहां देशभर से आयुर्वेदिक चिकित्सक जड़ी-बूटियों की तलाश में आते हैं। शिवराज सरकार ने 2008 में इसके धार्मिक और प्राकृतिक महत्व को ध्यान में रखते हुए अंतरराष्ट्रीय तीर्थस्थल के रूप में भी मान्यता दी है। मोहन यादव ने भी इसे तीर्थक्षेत्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की है।
विंध्यांचल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी
जानापाव कुटी इंदौर जिले के महू में 854 मीटर ऊंची पहाड़ी है। विंध्यांचल पर्वत श्रृंखला की यह सबसे ऊंची चोटी है। इंदौर-मुंबई राजमार्ग पर स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है। यह एरिया ट्रैकिंग और साइक्लिंग एरिया के रूप में प्रसिद्ध है। ट्रेकर्स के बीच यह काफी लोकप्रिय है। कार्तिक की पूर्णिमा पर हर साल यहां वालमेले लगता है।