Balaghat Popular Places: मध्यप्रदेश में 55 जिले हैं। हर जिले की अपनी एक अलग पहचान है। रहन-सहन, बोली, व्यंजन के लिहाज से भी यह एक-दूसरे से अलग हैं। हरिभूमि आपको 'मेरा शहर' सेगमेंट में हर दिन एक जिले की संस्कृति, सभ्यता और वहां की परंपराओं से रूबरू करा रहा है। जानें जिला बालाघाट की खासियत...।  

बालाघाट जिले का इतिहास
बालाघाट मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक जिला है। इसका प्राचीन नाम बुरहा था, यह बात बहुत कम लोगों को पता है। टाइल्स कारखानों और चावल मिलों के लिए अलावा यहां तांबे का बड़ा भंडार है। सन 1845 में डलहौसी ने इसे गोद लेने की परंपरा शुरू की। यहां पर पहले बारहघाट थे। ब्रिटिश अफसरों का यह शब्द बोलने में कठिनाई होती थी, लिहाजा उन्होंने इसका नाम संशोधित कर बालाघाट कर दिया। 1 नवंबर 1956 को इसे मध्य प्रदेश का स्वतंत्र जिला घोषित किया गया। 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक यहां बड़ा मेला भरता है। 

बालाघाट के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल

  • कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve): मध्य प्रदेश में सतपुड़ा की मैकाल पर्वतमाला 1,949 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला में टाइगर रिजर्व एरिया 1 जून 1955 में अस्तित्व में आया था। 1973 में इसे कान्हा टाइगर रिजर्व बनाया गया। वर्तमान में इसका कुछ हिस्सा मंडला और कुछ बालाघाट में आता है। टाइगर रिजर्व में टाइगर, तेंदुए, सुस्त भालू, बरसिंघा सहित कई जानवर हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व से रुडयार्ड किपलिंग को उनकी प्रसिद्ध कथा द जंगल बुक के लिए प्रेरणा दी थी।  
balaghat tiger
  • रामपायली मंदिर (rampayli mandir balaghat): करीब 600 साल पुराने रामपायली मंदिर को मराठा शासक भोसले ने बनवाया था। यहां विराजी भगवान राम की प्रतिमा 400 साल पहले चंदन नदी में मिली थी। 14 साल के वनवास में भगवान राम यहां भी आए थे। जिसके बाद इसका नाम पदावली यानी राम पयाली हो गया। मंदिर में भगवान राम बालाजी के रूप में माता सीता के साथ स्थापित हैं। यहां बालू का शिवलिंग स्थापित है। सावन में हजारों श्रद्धालु आते हैं और शिवलिंग की पूजा कर कालसर्प दोष निवारण करते हैं।  
    बालाघट का रामपायली मंदिर। 
  •  बजरंग घाट (Bajrang Ghat): वैनगंगा नदी पर स्थित बजरंग घाट प्रकृतिप्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बजरंग घाट में छोटे टेम्पल और अखाड़े हैं। इसे प्राकृति का स्विमिंग पूल भी कहते हैं। गर्मी सीजन में घाट में भारी भीड़ रहती है। घाट के दूसरी तरफ जलज के नाम से जाना जाता है, जो एक बड़ी जलमग्न चट्टान का सिरा है। 
  • गांगुलपारा झरना (Gangulpara Waterfall): बालाघाट से 14 किमी दूर स्थित गांगुलपारा झरना प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत नमूना है। यहां पिकनिक मनाने के लिए हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। 

यह भी पढ़ें: बैतूल प्राकृतिक सौंदर्य और प्राचीन परंपराओं का संगम, दुनियाभर में फेमस है यहां की हस्तशिल्प

बालाघाट के उत्पाद व इंडस्ट्री 

  • धान: बालाघाट धान उत्पादन का अग्रणी जिला है। मध्य प्रदेश में इसे धान का कटोरा भी कहते हैं। 
  • इंडस्ट्री: बालाघाट में तांबे का बड़ा भंडार है। इसके अलावा यहां टाइल फैक्ट्रियां और चावल मिल भी काफी हैं। 

यह भी पढ़ें: रीवा MP का तेजी से उभरता शहर, सफेद बाघ और सोलर प्लांट से बनी विश्व स्तरीय पहचान
बालाघाट के प्रमुख व्यंजन

  • गुझिया और इमरती: गुझिया और इमरती यहां का प्रमुख व्यंजन है। यह एक मीठा व्यंजन है।
  • ड्रमस्टिक करी: ड्रमस्टिक करी जिले का  प्रमुख व्यंजन है। जो मसालों के उपयोग करके तैयार की जाती है। इसमें एक स्वादिष्ट स्वाद है ड्रमस्टिक को औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है 
    balaghat famous food
  • बैगन मसाला: बैगन मसाला यहां का प्रमुख व्यंजन है। भरवां बैंगन का उपयोग करके बैंगन मसाला बनाया जाता है। 

बालाघाट की बोली और आबादी 
बालाघाट में मुख्यत: हिंदी ही बोली जाती है। इसमें छत्तीसगढ़ी और मराठी का पुट भी मिलता है। बालाघाट जिला 9245 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। यहां की आबादी 17,01,698 है। 8,42,178 पुरुष और 8,59,520 महिलाएं हैं।