Crisis on 300 farmers in Balaghat: मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में 300 से ज्यादा किसान सरकार की कर्जमाफी और ब्याजमाफी योजनाओं में उलझ गए हैं। इन्हें न कांग्रेस की कर्जमाफी और न ही भाजपा की ब्याजमाफी लाभ मिला। शासन प्रशासन उल्टा इनकी संपत्ति कुर्क करने की तैयारी कर रहा है। पढ़ें राहुल टेंभरे की ग्राउंड रिपोर्ट...।
कटंगी क्षेत्र के इन किसानों ने जिला सहकारी बैंक से शून्य ब्याज पर लोन लिया था. लेकिन पहले कांग्रेस की कर्जमाफी और फिर भाजपा की ब्याज माफी स्कीम की उम्मीद में समय पर भुगतान नहीं किया, जिससे अब पुस्तैनी जमीन पर संकट आ खड़ा हुआ है।
बैंक लोन का समय पर भुगतान न करने के चलते डिफाल्टर हो चुके इन किसानों को तहसीलदार ने नोटिस जारी कर तीन किस्तों में कर्ज अदा करने के लिए आदेशित किया है। तय समय पर भुगतान न हो पाने पर कृषि भूमि या अन्य संपत्ति कुर्क करने की चेतावनी दी गई है।
नोटिस के बाद भी बैंक लोन न चुकाने वाले इन किसानों की सोमवार को कटंगी तहसीलदार छवि पंत की न्यायालय में पेशी थी। जहां उन्हें कर्ज की पहली किश्त जून में जमा कराने के लिए आदेशित किया गया है। किसान इससे चिंतित हैं।
किसानों ने बताया कि शादी बारात के चलते हाथ में अब रुपए भी नहीं बचे। डिफाल्टर घोषित कर दिए जाने से बैंक नया कर्ज नहीं दे रहे। खरीफ सीजन की तैयारी करनी है। ऐसे में न्यायालय द्वारा निर्धारित डेट पर वह कर्ज चुकाकर अपनी जमीन और संपत्ति को सुरक्षित बचाएं या फिर खेती किसानी करें।
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने की घोषणा की थी. जिसके बाद उसकी सरकार भी बनी। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने घोषणानुसार, पहले चरण में 50 हजार तक के किसान लोन माफ करने की शुरूआत की। कटंगी सहित जिले में कई किसानों को कर्जमाफी के प्रमाण-पत्र भी बांट दिए गए, लेकिन इस बीच 2020 में सिंधिया समर्थक 28 विधायकों ने पाला बदल लिया, जिससे कमलनाथ सरकार गिर गई।
दलबदल के बाद बनी शिवराज सरकार ने कर्जमाफी की प्रक्रिया रोक दी। जिससे बड़ी संख्या में किसान डिफाल्टर हो गए। बाद में उनका ब्याज माफ करने की घोषणा की गई, लेकिन कटंगी के इन किसानों का ब्याज भी माफ नहीं हुआ। क्योंकि इसमें शर्त थी कि मूलधन चुकाने पर ही ब्याज माफ होगा।
मध्य प्रदेश में चार साल पहले कांग्रेस सरकार ने 26 लाख 95 हजार किसानों का कर्ज माफ किया था। कर्जमाफ के यह आंकड़े विधानसभा सत्र में तत्कालीन कृषि मंत्री कमल पटेल ने भी स्वीकार किए थे। मंत्री भूपेंद्र सिंह ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा दी गई जानकारी गलत है। मध्य प्रदेश में कोई कर्जमाफी नहीं हुई। उन्होंने जांच कराने की बात भी कही थी।