MP News:

मृदा स्वास्थ्य, जैव-विविधता एवं क्षेत्रीय किसानों की आजीविका में सुधार एवं विकास के उद्देश्य के साथ जिले के अभाली गांव में पहल की गई। इस पहल का शुभारंभ शुक्रवार को सॉलीडरीडाड एवं लुईस ड्रेफस कंपनी (एलडीसी) की सहभागिता से शुरू किए जा रहे कार्यों पर  प्रोजेक्ट लांच हुआ। ‘पुनर्योजी कृषि पध्दतियों से टीकाव भविष्य हेतु खेती’ आधारित इस उपक्रम के शुभारंभ कार्यक्रम में जिले के किसानों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लेकर होने वाले लाभ के बारे में जानकारी प्राप्त की। 

सॉलीडरीडाड संस्था और एलडीसी किसानों को टिकाव एवं मौसम अनुकूल कृषि के तौर तरीकों का प्रशिक्षण देने में सफलतापूर्वक प्रयासरत हैं। इसी प्रयास की श्रंखला में मॉडल खेतों के निर्माण, आधुनिक तौर-तरीकों एवं पुनर्योजी कृषि तकनीकों के उपयोग से गुणात्मक एवं  वृध्दि के उद्देश्य के साथ प्रोजेक्ट का शुभारंभ आयोजित कार्यक्रम में किया गया। कार्यक्रम में क्षमता निर्माण आधारित सत्रों को सॉलीडरीडाड के कृषि विशेषज्ञ एवं कृषि वैज्ञानिकों द्वारा संबोधत किया गया। इस प्रोजेक्ट का प्रमुख उद्देश्य बड्वानी जिले में लघु स्तर पर खेती-किसानी वाले किसानों के बीच कृषि के तौर तरीकों में सुधार लाना है। 

कार्यक्रम की शुरुआत सॉलीडरीडाड के जनरल मैनेजर डॉ. सुरेश मोटवानी और एलडीसी के श्री गंगाधरा श्रीरामप्पा द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई। डॉ. मोटवानी ने अपने संबोधन में कहा कि,'सॉलीडरीडाड एवं एलडीसी बेहतर भविष्य के लिए पुनर्योजी कृषि पध्दतियों के प्रोत्साहन के लिए प्रतिबध्द है। ‘पुनर्योजी कृषि पध्दतियों से टिकाव  भविष्य हेतु खेती’ मृदा स्वास्थ्य, जैव- विविधता को बढ़ावा व कृषक समुदायों को सहयोग को प्रतिबिम्बित करता है। सभी के सहयोग और एक साथ काम करने से हम हमारी कृषि प्रणाली को आने वाली पीढ़ियों के लिए टिकाव खेती में अच्छा भविष्य  बना सकते हैं। संस्था सरकार के सहयोग से क्षेत्र के तकरीबन दो हज़ार लघु स्तर के किसानों को लाभ पहुंचाने के साथ 50 मॉडल खेत स्थापित करवाएगी।

डॉ. मोटवानी ने कहा कि प्रोजेक्ट फसलों की गुणवत्ता, उत्पादन, आपूर्ति श्रंखला के ज्ञान के बारे में वृध्दि करने में सहायक होगा। सॉलीडरीडाड मूल कृषि व्यवस्था में पुनर्योजी कृषि सिध्दांतों के समावेश के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनके सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावारणीय उत्थान पर केंद्रित होकर कर रहा है।


गंगाधर, रामप्पा,एलडीसी हेड (भारत) ने कहा कि कृषि का भविष्य टिकाऊ के साथ-साथ  प्राकृतिक संसाधनों को नई शक्ति व जीवन देने वाली पद्धतियों पर निर्भर करता है। सॉलीडरीडाड के साथ जुड़कर हम मिट्टी के सेहत, स्वस्थ फसलों के साथ किसानी व प्रकृति में उत्तम सामंजस्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारा यह कदम कृषि के क्षेत्र में टिकाव  एवं समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने की महत्वपूर्ण पहल है। इसी उपलक्ष्य में प्रोजेक्ट के अंतर्गत दो हज़ार लघु स्तरीय किसानों को लाभान्वित कर 50 मॉडल खेतों के निर्माण भी किया जाएगा।

सॉलीडरीडाड के साथ पुनर्योजी कृषि की संभावनाओ को न केवल स्थायित्व की और लेकर जाना है जबकि मृदा की गुणवत्ता, फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना व प्रकृति व कृषि के बीच एक संतुलन स्थापित करना है । 

गीता दीदी, गांव सेमल्दा ने अपने वक्तव्य में कृषकों के क्षमता निर्माण पर बोलते हुए बताया कि किस तरह पुनर्योजी कृषि पद्धतियां अपनाने से किसान मृदा के स्वास्थ्य में सुधार लाकर, अपने फसलों की उपज को बढ़ा सकता है। 

इस कार्यक्रम में एलडीसी के टीम ने सॉलीडरीडाड संस्था के सदस्यों के साथ अभली गांव में लगे मक्के के प्रदर्शन प्रक्षेत्र का भी भ्रमण कर अभली और रूखेड़ा गाँव में सोलिदारीदद द्रव स्थापित किसान पाठशालाओं में किसानों के साथ परिचर्चा की। किसानों ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से पुनर्योजी कृषि पद्धतियों को अपनाने के बाद उन्हें काफी बचत भी हुई और फसल के गुणवत्ता में भी सुधार दिख रहा है।