Lok Sabha Chunav 2024: मध्यप्रदेश के बैतूल से बड़ी खबर है। बैतूल लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अशोक भलावी (50) का मंगलवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया। सोहागपुर के रहने वाले अशोक को दोपहर में सीने में दर्द हुआ तो परिजन अस्पताल लेकर गए। यहां डॉक्टर ने अशोक को मृत घोषित कर दिया। बसपा प्रत्याशी के निधन के बाद बैतूल सीट पर चुनाव की प्रक्रिया अब नए सिरे से होगी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने कहा है कि बैतूल लोकसभा सीट का चुनाव अब आगे बढे़गा। चुनाव आयोग को जानकारी दे दी गई है। आयोग यहां चुनाव और नामांकन के लिए नई तारीख तय करेगा। इसके बाद ही बैतूल में चुनाव होंगे।
दुखद समाचार बहुजन समाज पार्टी बैतूल हरदा हरसूद लोकसभा के प्रत्याशी आदिवासी चेहरा मिशन के लिए हमेशा तत्पर रहने वाले सम्मानित साथी अशोक भलावी जी हमारे बीच में नहीं रहे आज तकरीबन 1:30 बजे हार्ट अटैक आने से उनकी मृत्यु हो गई प्रकृति परिवार को दुख सहने की शक्ति दे। 🙏🏻🙏🏻 pic.twitter.com/VDP7nf1hze
— BSP Harda & Timarni (@bsp4harda) April 9, 2024
विधानसभा चुनाव में गुरमीत का हुआ था निधन
राजस्थान के गंगानगर में 2023 के विधानसभा चुनाव के दौरान करणपुर विधानसभा सीट कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर का विधानसभा चुनाव के बीच निधन हो गया था। जिससे वहां का चुनाव स्थगित करना पड़ा था। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह की हृदय गति रुकने से मौत हुई थी। जिसे बाद रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का चुनाव स्थगित कर दिया गया था।
जानिए क्या कहता है जन प्रतिनिधित्व अधिनियम?
अधिनियम की धारा 52 (2) के अनुसार अगर किसी मान्यता प्राप्त राज्य या राष्ट्रीय पार्टी की ओर से मैदान में उतारे गए उम्मीदवार की मतदान से पहले मृत्यु हो जाती है तो निर्वाचन अधिकारी उस सीट पर मतदान स्थगित कर देता है और नई तारीख की घोषणा बाद में की जाती है।
जानें बैतूल सीट का इतिहास
बता दें कि बैतूल लोकसभा में विधानसभा 8 सीटें आती हैं। बैतूल सीट पर पहला चुनाव 1951 में हुआ। पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। 1967 और 1971 के चुनाव में भी कांग्रेस ने बैतूल सीट जीती। 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल ने बैतूल सीट पर जीत हासिल की। 1980 में कांग्रेस ने वापसी कर फिर यह सीट जीती। 1984 में भी कांग्रेस को जीत मिली। बीजेपी ने पहली बार 1989 में जीत हासिल की। आरिफ बेग ने कांग्रेस के असलम शेरखान को हराकर यहां पर बीजेपी को पहली जीत दिलाई थी।
कांग्रेस के टेकाम और भाजपा ने दुर्गादास को उतारा
1991 में असलम शेर खान ने 1989 की हार का बदला लेकर आरिफ बेग को पराजित किया। 1996 में भाजपा ने फिर वापसी की और विजय कुमार खंडेलवाल सांसद बने। विजय कुमार खंडेलवाल ने 1996, 1998, 1999 और 2004 के चुनाव में जीत दर्ज की। उनके निधन के बाद 2008 में हुए उपचुनाव में विजय कुमार खंडेलवाल के बेटे हेमंत खंडेलवाल जीत कर सांसद बने। 2009 में यह सीट अजा वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। 2009 में भाजपा की ज्योति धुर्वे ने जीत हासिल की। 2014 में ज्योति फिर सांसद चुनी गईं। 2019 में भाजपा के दुर्गादास उईके ने जीत हासिल की। 2024 के चुनाव में कांग्रेस से रामू टेकाम और भाजपा ने टिकट से दुर्गादास उईके चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा ने अशोक भलावी को मैदान में उतारा था।