भोपाल (वहीद खान): शहर को स्लम फ्री बनाने की कवायद एक बार फिर से शुरू होने जा रही है, जिसके तहत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की हिदायत के बाद चिन्हित 73 झुग्गी बस्तियों के रहवासियों को जेएनएनयूआर (JNNUR) प्रोजेक्ट के तहत फ्लैट देने की तैयारी कर रहा है। पुरानी झुग्गी बस्तियों को हटाने के लिए आसपास जगहों की तलाश की जा रही है। 

शहर में अब तक झुग्गियों को हटाने के लिए 1450 करोड़ रुपए खर्च हो गए हैं। शहर में झुग्गी बस्तियों के इलाकों की संख्या 73 तक पहुंच गई है। सबसे ज्यादा झुग्गी वाले देश के टॉप-10 शहरों में भोपाल भी शामिल है। शहर में 10 हजार करोड़ की 650 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा करने का अनुमान है। 

16 साल से चल रही कवायद
साल 2008 में जेएनएनयूआर प्रोजेक्ट के तहत सबसे ज्यादा 11 हजार 500 आवास बनाए गए। जिसमें अर्जुन नगर, मैनिट के पास बस्ती, कोटरा सुल्तानाबाद नेहरू नगर, 1100 क्वाटर्स के प्रोजेक्ट शामिल हैं। इन पर करीब 448 करोड़ खर्च हुए। वहीं, अब कलियासोत कैचमेंट के भीतर झुग्गियां बन गईं, जिन्हें मकान मिले, उन्होंने भेल क्षेत्र में भी झुग्गी बना लीं। अब फिर शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 14 हजार फ्लैट बनाने का अभियान चल रहा है। इस पर 546 करोड़ खर्च होंगे।

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कैचमेंट एरिया में चार हजार झुग्गियां
नगर निगम सीमा जिसमें बंगरसिया, अमरावद खुर्द, रायसेन रोड, चांदपुर, नई जेल, कान्हासैया, गांधी नगर, बैरागढ़ व भौंरी के बीच भदभदा डैम के पास तालाब के कैचमेंट एरिया में करीब 4 हजार झुग्गियां बस गई हैं। जबकि बाणगंगा, भीम नगर, पंचशील, राहुल नगर, ईश्वर नगर, वल्लभ नगर, रोशनपुरा झुग्गी बस्ती क्षेत्र में पक्के मकान बन गए हैं। भेल की जमीन पर पिपलानी, हबीबगंज, गोविंदपुरा व बरखेड़ा सेक्टर के पिपलिया पेंदे खां, बरखेड़ा पठानी व पद्मनाभ नगर की खाली जमीन पर करीब 6 हजार झुग्गियां तन गईं। मिसरोद से बाग मुगालिया, अयोध्या से भानपुर तक सरकारी भूमि पर तेजी से कब्जे हो रहे हैं। ईदगाह हिल्स में भी झुग्गी बस्तियां हैं।

निगम के साथ मिलकर स्लम फ्री करेंगे शहर
शहर में हमारे पास जमीनें कम हैं। जितनी हैं, उन पर पीएम आवास बनाए जा रहे हैं। इसमें से 50 फीसदी स्लम वालों के लिए हैं। नई झुग्गियों की बसाहट रोकने नियमित कार्रवाई की जाती है। निगम के साथ मिलकर शहर को स्लम फ्री बनाने की योजना है। 
कौशलेंद्र विक्रम सिंह, कलेक्टर