भोपाल (वहीद खान): दिल्ली में कोचिंग हादसे के बाद राजधानी भोपाल में प्रशासन ने कोचिंग क्लासेस पर सख्ती बरती थी। इसमें करीब 3 दर्जन कोचिंग संस्थानों की जांच की गई। कोचिंग क्लासेस के बेसमेंट में क्लास चलाने और आग से बचाव के इंतजाम को लेकर सख्ती की गई। 

जांच के बाद कोचिंग संचालकों को एक माह की मोहलत दी गई। पांच दिन पहले तत्कालीन एसडीएम आशुतोष शर्मा ने दो दर्जन कोचिंग संचालकों के बेसमेंट में कोचिंग नहीं चलाने और आग से बचाव के इंतजाम करने की लिखित में सहमति दी थी। 

इधर, बुधवार को शहर एसडीएम का काम देख रहे लक्ष्मीकांत खरे ने बुधवार को एमपी नगर एसडीएम का काम संभालते ही कहा कि सिर्फ एक कोचिंग संचालक ने सहमति पत्र दिया है। अब गुरुवार से टीमें सड़कों पर उतरकर संचालकों पर सीधे कार्रवाई करेंगी। 

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तीन अगस्त को शहर के कोचिंग संचालकों को बैसमेंट में क्लॉस नहीं लगाने, आग से सुरक्षा के इंतजाम और बिजली सुरक्षा को लेकर एक महीने का दिया गया अल्टीमेटम तीन सितंबर को खत्म हो गया है। इसके पहले ही एमपी नगर क्षेत्र के दो दर्जन कोचिंग संचालकों ने बेसमेंट में कोचिंग नहीं चलाने का बांड एमपी नगर एसडीएम को पेश किया था। एसडीएम का कहना है कि गुरुवार से टीमें कोचिंग संस्थानों में कमियां मिलने पर सील करने की कार्रवाई करेंगी।

दरअसल कोचिंग संचालकों को बिल्डिंग में 8 बिंदुओं पर सुरक्षा व्यवस्था करना है, जिसमें फायर ऑडिट लिफ्ट और इलेक्ट्रिफिकेशन भी दुरुस्त किया जाना है। 

बताया जा रहा है कि खरे दो महीने पहले भी एमपी नगर का काम देख रहे थे, लेकिन दफ्तर में नहीं बैठने और काम में लेटलतीफी करने को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने उन्हें शहर सर्कल भेज दिया था, अब उन्हें दोबारा से एमपी नगर में पदस्थ किया गया है।