Bhopal AIIMS : एम्स भोपाल में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के माध्यम से कई ऐसे मरीजों को लाभ हुआ, जो नींद संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। एम्स में शिरोधारा पद्धति के जरिए एक माह में लगभग 70 मरीजों ने इसका लाभ उठाया है। यह जानकरी एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अजय सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि  एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, योग, सिद्धा अथवा होमियोपैथी के उपचार के माध्यम से मरीजों को आराम हुआ है। 
            
शिरोधारा क्या है? 
शिरोधारा एक आयुर्वेदिक उपचार तकनीक है, जिसमें रोगी के माथे पर औषधीय तेल, दूध या छाछ गिराया जाता है। शिरोधारा दो संस्कृत शब्दों - शिरो (सिर) और धारा (प्रवाह) से बना है। जिसमें रोगी के माथे पर तरल - आमतौर पर तेल, दूध, छाछ, या पानी - डालना शामिल है। इसे अक्सर शरीर, खोपड़ी या सिर की मालिश के साथ किया जाता है। यह जड़ी-बूटियों से संसाधित तेल, दूध या छाछ ऐसे बर्तन में डाल दिया जाता है, जिसके नीचे बीच में एक छोटा-सा छेद होता है उसी छेद से तेल माथे पर (दोनों आई-ब्रो के बीच) गिराया जाता है। आंखों को बचाने के लिए उसे पट्टी से ढक दिया जाता है। शिरोधारा का शरीर और दिमाग पर आरामदायक, सुखदायक और शांत प्रभाव पड़ता है। शोध से यह भी पता चलता है कि शिरोधारा थकान कम करता है, नींद संबंधी समस्याओं में फायदेमंद, सिरदर्द में सुधार ,तनाव, चिंता और अवसाद को कम करता है, एकाग्रता में सुधार और ब्लड-प्रेशर को कम करने में सहायक होता है।

कहानी 
46 वर्षीय नमन (बदला हुआ नाम) की। जिन्हे पिछले 6 सालों से रात में ठीक से नींद नहीं आती थी। सारी रात करवटें लेते बीत जाती थी। नींद की गोलियां भी ली। पर जब तक दबाई खाते तब तक तो ठीक पर बाद में फिर वही "ढाक के तीन पात"। एम्स भोपाल के आयुष विभाग में डॉ दानिश जावेद को ओपीडी में दिखाया। उन्होंने नमन को शिरोधारा करवाने की सलाह दी। केवल एक महीने के इलाज के बाद ही मरीज की स्थिति में काफी बदलाव आने लगा। लगभग 3 महीने चले इलाज के बाद नमन अब रातों में चैन की नींद लेते हैं। अब उन्हें आराम है।