Bhopal AIIMS: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भोपाल के डॉक्टरों ने शुक्रवार को लेप्रोस्कोपी से तिल्ली का ऑपरेशन कर महिला दुर्लभ रक्त विकार ठीक किया। एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपॉर्टमेंट में हुए इस ऑपरेशन के बाद महिला पूरी तरह से स्वस्थ है। कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने चिकित्सा टीम को बधाई दी है।
लाल रक्त कोशिकाओं का कब्रिस्तान
भोपाल एम्स के हेमेटोलॉजी विभाग में लगभग 30 वर्षीय महिला अपने इलाज के लिए आई थी। जो कि वंशानुगत स्फेरोसाइटोसिस बीमारी से पीड़ित है। लिहाजा प्लीहा अथवा तिल्ली जिसे लाल रक्त कोशिकाओं का कब्रिस्तान भी कहते हैं। तिल्ली अपने जन्मजात संरचनात्मक दोष के कारण युवा लाल रक्त कोशिकाओं को खत्म कर देता है।
बार-बार हो रहा था पीलिया और एनीमिया
युवा लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो जाने से महिला को बार-बार पीलिया और एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझना पड़ा। कई बार रक्त चढ़ाने चढ़ाने की जरूरत भी पड़ी। मरीज की तिल्ली हटाने के लिए उसे सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में भेजा गया। विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. विशाल गुप्ता ने जब जांच पड़ताल की तो पाता चला कि तिल्ली बहुत बढ़ी हुई है।
लैप्रोस्कोपिक से प्लीहा हटाना चुनौतीपूर्ण
डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि बढ़ी हुई तिल्ली के चलते महिला को पेट दर्द और बेचैनी की समस्या थी। डॉ विशाल ने शुरुआत में परंपरागत करीके से सर्जरी कर इसे हटाने का सोचा, लेकिन महिला की कम उम्र और छोटे बच्चों को देखते हुए लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का निर्णय लिया। लैप्रोस्कोपिक से प्लीहा हटाना तकनीकी तौर पर काफी चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है।
कार्यपालक निदेशक ने दी बधाई
डॉ. विशाल गुप्ता और उनकी टीम ने एनेस्थीसिया की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. पूजा के साथ मिलकर सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन के बाद मरीज स्वस्थ है। अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है। एम्स, भोपाल के कार्यपालक निदेशक और सीईओ प्रो अजय सिंह ने कहा कि हमारा दायित्व समाज के वंचित वर्ग को कम खर्च में उच्च गुणवत्ता वाला उपचार देना है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन के लिए गैस्ट्रोसर्जरी टीम को बधाई दी है।