GMC Bhopal: गांधी मेडिकल कॉलेज का दीक्षांत समारोह, 130 छात्रों को मिली डिग्रियां; बोले- भोपाल के साथ सुनहरी यादें 

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। इसमें 130 छात्रों को मेडिकल डिग्रियां दी गईं।;

Update: 2024-09-12 17:41 GMT
Bhopal Gandhi Medical College Convocation ceremony 130 Students get Degree
गांधी मेडिकल कॉलेज में दीक्षांत समारोह।
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भोपाल। गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में गुरुवार को दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें 130 छात्रों को मेडिकल डिग्रियां प्रदान की गईं। इस गौरवपूर्ण अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. डी. पी. लोकेवानी, पूर्व कुलपति, मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमपीएमएसयू) और विशिष्ट अतिथि ध्रुव शुक्ल भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित कथा पुरस्कार विजेता उपस्थित थे। 

समारोह की शुरुआत महाविद्यालय की डीन डॉ. कविता एन. सिंह के प्रेरणादायक शब्दों से हुई, जिसमें उन्होंने छात्रों की कड़ी मेहनत और समर्पण की सराहना करते हुए कहा ‘आपने कठिन परिश्रम से यह महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की है। यह केवल शुरुआत है। चिकित्सा के क्षेत्र में आपके योगदान का समाज को बेसब्री से इंतजार है। अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करें।’ समारोह का एक विशेष आकर्षण चरक शपथ का आयोजन था। सभी नवनियुक्त चिकित्सकों ने चरक शपथ लेकर मरीजों के प्रति अपनी निष्ठा और सेवा भाव का संकल्प लिया। इस पवित्र शपथ के माध्यम से उन्होंने मरीजों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समर्पित होने का वचन दिया। साथ ही इस मौके पर हरिभूमि ने दीक्षांत समारोह में डिग्री हासिल करने वाले स्टूडेंट्स से बातचीत की। 

 

कोविड में वी फॉर यू और बेड फॉर यू चलाई थी मुहिम
सतना की रहने वाली डॉ. विधि त्रिपाठी ने बताया कि भोपाल से मैं बहुत सारी यादे लेकर जा रही हूं। यहां से मुझे बहुत सारे दोस्त मिले हैं। भोपाल के बारे में जितनी तारीफ करूंगी कम है, क्योंकि यहां सब कुछ बेहतर है। जितना मैंने यहां पढ़ाई से सीखा उतना ही मुझे यहां पर लोगों से भी सीखने को मिला है, हमने यहां पर कोविड जैसे समय को देखा है उस दौरान हमने एक मुहिम चलाई थी। वी फॉर यू और बेड फॉर यू जिसमें पूरा कॉलेज के स्टूडेंट्स शामिल थे करीब 500, जिन्होंने लोगों को बेड दिलाने से लेकर उनके खाने-पीने व मेडिकल में हेल्प की थी। मेरा तो सपना है कि मुझे इसी अस्पताल में सेवा करने का मौका मिले।

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हिन्दी स्कूल और छोटे शहर का बहाना नहीं बनाना, सपनों को पूरा करने पर ध्यान लगाना
टीकमगढ़ के डॉ. सत्यम खरे ने बताया कि ओपीडी में बैठकर यहां पर बहुत कुछ सीखने को मिला है, मरीज को गुस्सा तब आता है जब उसे सुविधा समय पर नहीं मिल पाती है, लेकिन इसमें डॉक्टर की गलती नहीं मान सकते हैं वो अपने कर्तव्य का पालन करते हैं, क्योंकि उनके पास बहुत मरीज होते हैं। वहीं मैं इस कॉलेज में रहकर पांच साल में बहुत कुछ सीख पाया हूं। उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इंसान को यह नहीं सोचना चाहिए कि वो हिंदी स्कूल से पढ़ा है या वो छोटे शहर से अपने सपनों को पूरा करने पर ध्यान लगाएंगे तो सपने जरूर पूरे होंगे। मुझे इस कॉलेज ने एक उड़ान दी है। आज मैं कितना खुश हूं, इसको शब्दों में बयां नहीं कर पाऊंगा।

कॉलेज से हर साल कुछ नया देखने और सीखने को मिले
इंदौर की डॉ. खुशी सिलगन ने बताया कि करीब 5 सालों में यहां से जो सीखने के लिए मिला वो कहीं और से नहीं सिख पाती। मैंने अपने जीवन के सबसे बेहतरीन पलों को इस कॉलेज में जिया है। हर साल मैंने इस कॉलेज को एक नई सीढ़ी चढ़ते हुए देखा है। हमें यहां पर अच्छे दोस्त भी मिले, हम लोग अपनी पढ़ाई पर पूरी तरह से फोकस रखते रहे। साथ ही हमें या पर प्रेक्टिकल करने का मौका दिया गया। 

इसके अलावा हमें हर तरह की सुविधा और इस शहर को जान कर लगा कि भोपाल तो इतना खूबसूरत है। इस शहर की हवा में ही खूबसूरती है। मैंने यहां पहले और अपने अंतिम साल में कॉलेज के साथ अपने आप में कई बदलाव देखे हैं, उन्हें बयां करना आसान नहीं है।

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भोपाल आकर यहां की संस्कृति को जानने का मौका मिला
अरुणाचल प्रदेश से पढ़ने के लिए भोपाल आए डॉ. तारह तपूंग ने बताया कि मैंने यहां पढ़ाई के अलावा यहां की संस्कृति को जाना यहां कि मिट्टी को जाना, जितना सुंदर यह शहर है उतने ही इसको जानने का मन होता है, अगर जो भोपाल आएगा वो वापस जाना नहीं चाहएगा। मैं यहां पर अपनी सेवा देना चाहता हूं। एक डॉ. के रूप में देखता हूं, शायद यह सपना भी पूरा हो जाए। 

वहीं यहां पर पांच सालों में बहुत कुछ सीखने को मिल। यह लोगों की धारणा है कि पहाड़ी इलाकों होगा तो वहां सिर्फ आयुर्वेद दवा पर ही भरोसा किया जाता है, वहां भी दोनों रूप की दवाइयों की सेवा दी जा रही है और भोपाल में भी, हर जगह मेडिकल आगे बढ़ता जा रहा है।

मैं अपने जीवन के खास पलों को समेट कर ले जा रही हूं
ग्वालियर से पढ़ने आईं डॉ. विभूति रक्षा ने बताया कि मुझे इस शहर ने बहुत कुछ दिया है। यहां से मैं अपने जीवन के सबसे खास पलों को समेट कर लेकर जा रही हूं। भविष्य में जब सब कभी साथ में मिलेंगे तो भोपाल में बिताए हुए समय को हमेशा याद करेंगे। आज इस डिग्री को हासिल करके ऐसा लग रहा है माना बहुत बड़ा सपना पूरा हो गया हो। इसमें मुझे अपने पैरेंट्स का बहुत सपोर्ट मिला। साथ ही नए दोस्त मिले। भोपाल जितना सुंदर है, उतना ही यहां पर सुकून भी है। यहां पर आकर मुझे अपने बारे में जानने को मिला। 

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