भोपाल। दुष्यंत संग्रहालय में कविता संकलन अष्टछाप के अर्वाचीन कवि का लोकार्पण समारोह आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि आज सबसे बड़ी आवश्यकता पुस्तकों के माध्यम से समाज की जमीनी हकीकत को पाठकों तक जोड़ा जाए। ऐसा नई कविता में हो रहा है। साहित्य की सभी विधाओं में इसकी अत्यंत आवश्यकता है। ऐसे पत्रकार, जो पत्रकारिता का धर्म निभाते हुए कविता लिख रहे हैं, वे अधिक प्रभावशाली तरीके से यह बात पहुंचा सकते हैं।
सर्वप्रथम कविता संकलन का हुआ लोकार्पण
वरिष्ठ समाजसेवी हेमंत मुक्तिबोध, वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव और उमेश त्रिवेदी ने साहित्य और पत्रकारिता का निचोड़ पेश किया। सबसे पहले कविता संकलन का लोकार्पण किया गया। कविता में ये 8 कवि शामिल हैं- शिल्पा शर्मा, उमेश त्रिवेदी, पंकज पाठक, अजय बोकिल, कौशल किशोर चतुर्वेदी, आरिफ मिर्जा, डॉ. वंदना शुक्ला और आरती शर्मा।
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भक्तिकाल के अष्टछाप के कवियों को किया समर्पित
मुख्य अतिथि मुक्तिबोध, जिनका साहित्य और विशेषकर कविता में गहन हस्तक्षेप है। उन्होंने विस्तार के साथ विषय की विवेचना की। उन्होंने संकलन की कविताओं का विश्लेषण भी किया। सारस्वत अतिथि महेश ने भक्तिकाल के अष्टछाप के कवियों को समर्पित इस संकलन की कविताओं कोसमय की प्रतिनिधि कविताएं निरूपित किया। उमेश ने कहा कि आज की नई कविता साहित्य के भविष्य की ओर आश्वस्त करती हैं। कवियों ने काव्यपाठ भी किया
कार्यक्रम का संचालन विख्यात हिंदी सेवी डॉ. जवाहर कर्नावट ने किया। आभार प्रख्यात शायर और एंकर बद्र वास्ती ने माना। खचाखच भरे दुष्यंत संग्रहालय में बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, साहित्यकार अधिकारी, पत्रकार और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। पुस्तक का आवरण प्रख्यात कलाकार प्रो. आलोक भावसार और हरिओम तिवारी ने तैयार किया। पिछले एक साल में पंकज पाठक के संपादन में प्रकाशित यह तीसरा साझा-संकलन है।