'OBC का हक मार रही सरकार': 27% आरक्षण के मुद्दे पर जीतू पटवारी ने उठाए सवाल; लोकायुक्त में करेंगे महाधिवक्ता की शिकायत।

Jitu Patwari on OBC reservation: मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण (अन्य पिछड़ा वर्ग) का मुद्दा गर्माता जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने रविवार (20 अप्रैल) को भोपाल में आयोजित प्रेस कांफ्रेस कर सरकार और उनके वकीलों पर सवाल उठाए। कहा, जानबूझकर इस मुद्दे को कोर्ट में उलझाकर रखा गया है।
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने मध्य प्रदेश सरकार को संविधान और ओबीसी विरोधी बताया। कहा, सुप्रीम कोर्ट जब स्पष्ट कर चुका है कि मध्य प्रदेश में 27 फीसदी आरक्षण पर कोई रोक नहीं है तो फिर लागू क्यों नहीं किया जा रहा। पिछड़ा वर्ग के लोगों हक क्यों मारा जा रहा है।
अब एक ही नारा -
— Jitendra (Jitu) Patwari (@jitupatwari) April 20, 2025
जिसकी जितनी हिस्सेदारी,
उसकी उतनी भागीदारी!
📍भोपाल.
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राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग
जीतू पटवारी ने कहा, मध्य प्रदेश में एक गंभीर संवैधानिक संकट की स्थिति बन गई है। भाजपा सरकार विधायिका से पारित कानून को लागू कर पाने में विफल है। उन्होंने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की मांग उठाई।
महाधिवक्ता पर गंभीर आरोप
जीतू पटवारी ने महाधिवक्ता प्रशांत सिंह पर भी आरोप लगाया है। कहा, सरकार के इशारे पर उन्होंने कोर्ट में मामल उलझाया रखा है। करोड़ों रुपए फीस लेने के बावजूद ओबीसी वर्ग का हक रोक रखा है। उनके खिलाफ लोकायुक्त जाएंगे। नर्सिंग घोटाले मामले में भी सरकार ने करोड़ों रुपए का भुगतान किया है।
क्या है ओबीसी आरक्षण विवाद?
- जीतू पटवारी ने बताया, 2019 में कमलनाथ सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के लिए अध्यादेश जारी किया था। इस अध्यादेश को मेडिकल छात्रा स्मृति दुबे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके चलते कोर्ट ने मेडिकल पीजी में बढ़े हुए आरक्षण के अमल पर रोक लगा दी थी।
- कमलनाथ सरकार ने इसके बावजूद, जुलाई 2019 में इस अध्यादेश को विधानसभा से पारित कर कानूनी रूप दिया गया।
- जीतू पटवारी ने स्पष्ट किया कि ओबीसी आरक्षण के इस कानून किसी अदालत ने निरस्त नहीं किया। न ही इस पर कोई स्थगन आदेश (स्टे) है। इसके बावजूद मोहन यादव सरकार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है। जो कि भविष्य से खिलवाड़ है।
समाप्त हो 87-13 का फार्मूला
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, मध्य प्रदेश की सरकार भर्तियों में 87-13 का फार्मूला समाप्त होना चाहिए। अब तक इस फार्मूले से हुई भर्तियों में ओबीसी के चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्तियां बहाल की जानी चाहिए। हजारों की अभ्यर्थी हैं, जिन्हें चयन के बावजूद नियुक्तियों नहीं दी गईं।
शिक्षक भर्ती 14 फीसदी आरक्षण असंवैधानिक
जीतू पटवारी ने बताया, यह उम्मीदवार चार-पांच साल से नियुक्ति पत्र की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जनवरी 2025 में शिक्षक भर्ती के लिए मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा जारी विज्ञापन में भी 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण का उल्लेख किया है, जो कि विधानसभा से पारित कानून का खुला उल्लंघन है।
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