भोपाल। आनंद सक्सेना, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में चल रहीं बीसीएलएल कंपनी की सिटी बसों के संचालन की व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। कैश कलेक्शन कंपनी ने घाटा बता कर काम बंद कर दिया। जिससे 149 बसें पिछले तीन माह से डिपो में खड़ी हैं। वहीं अब आरटीओ से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलने से अन्य बसें भी डिपो पहुंचती जा रही हैं। बीसीएलएल कंपनी दावा कर रही है कि 368 में से अभी 180 सिटी बसें रोड पर चल रही हैं।
इसको लेकर कंपनी के कर्मचारी कहते हैं कि शहर के 18 रूटों पर 368 में से सिर्फ 82 बसें ही चल रहीं है। इस कारण 7 रूट ऐसे हैं। जहां एक भी सिटी बस नहीं पहुंच रहीं। वहीं 11 रूट पर एक या दो बसें ही पहुंच रही हैं। इस कारण 50 हजार लोग ऑटो से सवारी करने को मजबूर हैं, वो भी डबल किराया देकर। 8 सीटर आटो में 12 लोगों को बैठाया जा रहा है। वहीं टू सीटर में चार सवारी, वो भी डबल किराए में बैठाई जा रही हैं।
ये भी पढ़ें: प्राइवेट हॉस्पिटल के मैनेजर ने संचालक को लगाई 12 लाख की चपत, पुलिस ने दर्ज की FIR
नया जीपीएस लगवाने मेंं 12 से 14 हजार का खर्च
बीसीएलएल डायरेक्टर मनोज राठौर के अनुसार इस समय सिटी बस संचालन व्यवस्था वास्तव में काफी गड़बड़ा गई है। क्योंकि आरटीओ पुराने जीपीएस को मान्य नहीं कर रहा है। जिन बसों के फिटनेस का नंबर आ रहा है, उसे नए नियमों के अनुसार फिटनेस करवाया जा रहा है। साथ ही नया जीपीएस लग रहा है। इसमें 12 से 14 हजार रुपए खर्च हो रहे हैं। सीएनजी से चल रहीं 77 बसों के सामने भी यह समस्या आ गई है। जिससे रोड पर सिर्फ 80 बसें ही चल पा रही हैं। क्योंकि नया जीपीएस लगवाने के लिए एक-एक बस ही जा पा रही हैं।
चार आपरेटर के माध्यम से चल रहीं थीं बसें
भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड अपने चार ऑपरेटर के माध्यम से 18 रूटों पर 368 बसों का संचालन कर रही है। एक ऑपरेटर के पास 149, दूसरे के पास 52, तीसरे के पास 90 और चौथे ऑपरेटर के पास 77 बसों के संचालन का जिम्मा है। इनमें से 149 पहले से ही बंद हैं और 52 बस का संचालन करने वाले आपरेटर ने भी हाथ खींच लिए। जबकि 90 और 77 बसों का संचालन करने वाले आपरेटर भी आधी बसें ही चला रहे हैं।