Bhopal potters market Updates: मोहनजोदड़ो का नाम सुनते ही जेहन में हाथों में ढेरों चूड़ियां पहनी, अनेकों गहनों से सुसज्जित गुड़िया का रुप आकार लेता है, गोल्डन गर्ल के रुप में मोहनजोदड़ो की यह गुड़िया के साथ ही परफेक्ट नहीं बल्कि इम्परफेक्ट स्कल्पचर भी देखा जा सकेगा गौहर महल में जारी पॉटर्स मार्केट में, शुक्रवार से शुरु होने वाले इस पॉटर्स मार्केट में देशभर के 38 आर्टिस्ट अपना आर्ट वर्कलेकर आए हैं। इस पॉटर्स मार्केट में जहां पांडिचेरी की रंजिता बोरा ने पहली बार शिरकत की तो वहीं 200 से अधिक ऐड फिल्में बनाने वाले सुबोध पोद्दार गोल्ड क्वाइल से तैयार मोहनजोदड़ो की गोल्डन गर्ल लेकर आए है। वहीं श्रव्यबधित श्रीजॉनी रॉय का आर्ट वर्क भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगा।
फायरिंग के वक्त चारों ओर लपेटता हूं ओरिजनल गोल्ड क्वाइल
200 से अधिक ऐड फिल्में बनाने वाले आर्टिस्ट और पेंटर सुबोध पोद्दार भी पॉटर्स मार्केट में शिरकत कर रहे हैं, सुबोध कहते हैं कि इस मूर्ति को बनाने के लिए मैं फायरिंग के वक्त गोल्ड क्वाइल को चारों तरफ लगाकर फिर फायर करता हूं तो इससे इन मूर्तियों में गोल्डन रंग आ जाता है और यह मूर्तियां सदियों पुरानी मोहनजोदड़ो के समय ही लगती हैं। उन्होंने कहा कि ऐड फिल्में बनाने के साथ ही मुझे ऐसे स्कल्पचर बनाने का भी काफी शौक था और इसलिए मैंने ऐसे आर्टिस्ट के साथ दोस्ती की जो टेराकोटा, स्टोन वेयर, सिरेमिक को पॉजिटिव और नेगेटिव रुप में इस्तेमाल करते हैं और फिर मेरी इस तरह से स्कल्पचर बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। मेरी बनी गोल्डन गर्ल 2 फीट लंबी और 10 इंच चौड़ी है, जिसकी कीमत 55000 रुपए है।
टूटी हुई कलाकृतियां के प्रति आकर्षण की वजह से बनाता हूं परफेक्ट इम्परफेक्ट आकृतियां
अलवर राजस्थान से आए ओमप्रकाश गालव की 15वीं पीढ़ियां इस काम से जुड़ी हैं। ओम का कहना है कि मिट्टी की सबसे छोटी कलाकृतियां और कुछ विशालकाय कलाकृतियां भी बनाने का रिकॉर्ड दर्ज हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं बचपन में मिट्टी की कलाकृतियां बनाता था तो उसमें से कुछ टूट जाती थी लेकिन टूटते समय जब उनकी टूटी हुई आकृति होती थी, वह मुझे बहुत आकर्षित करती थी और मेरा मन करता था कि मैं ऐसी कलाकृतियां बनाऊं परंतु उनका उस समय रोक पाना संभव नहीं था क्योंकि वह पूरी तरह से टूट जाती थी, फिर मैंने उन्हीं टूटी हुई आकृतियों को कलाकृतियां का रुप दिया और इसका नाम परफेक्टली इंपरफेक्ट रखा। यह कलाकृतियां इतनी खूबसूरत हैं कि कला प्रेमियों को भी सहज ही आकर्षित करती हैं।
अपने आर्ट वर्क में अपनी भावनाओं को उकेरने वाली श्रव्य बाधित श्रीजनी
कोलकाता से आईं श्रव्य बाधित श्रीजनी रॉय की मां सुकन्या रॉय का कहना है कि जन्म से ही श्रव्य बधित श्रीजनी का एडमिशन एक नॉर्मल स्कूल में कराना भी मुश्किल था, बावजूद इसके उसने नॉर्मल बच्चों के साथ शिक्षा ग्रहण की उसके बाद एनआईडी से सिरेमिक और पॉटरी में डिग्री ली, क्योंकि इस वर्कके जरिए वो अपनी भावनाओं को बहुत ही अच्छे से व्यक्त कर सकती है। सुकन्या ने कहा कि हर मोड़ पर श्रीजनी को श्रव्यबधित होने की वजह से परेशानी हुई लेकिन उसने हार नहीं मानी और आज वो कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पॉटरी को डिस्पले करती है और पॉटरी मेकिंग की उसकी वर्कशॉप पूरे बंगाल में प्रसिद्ध है। सुकन्या ने कहा कि श्रीजनी के द्वारा बनी इन हैंडमेड पॉटरी में हैंडप्रिंट का प्रयोग किया गया हैं, जो देखने में सुंदर होने के साथ ही माइक्रोवेव सेव और फूड ग्रेड फ्री हैं।