भोपाल की राशिदा रियाज: ट्रक डेकोरेशन के काम से बनाई पहचान, शहर की महिलाओं को दिया रोजगार

Bhopal Rashida Riaz
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भोपाल की समाजसेविका राशिदा रियाज, जिन्होंने ट्रक डेकोरेशन के काम से पहचान बनाई।
भोपाल की राशिदा रियाज ने 10 साल पहले ट्रक डेकोरेशन से अपना रोजगार शुरू किया था। आज उनके साथ कई महिलाएं यह काम करती हैं। राशिदा जरूरतमंद बच्चों की मदद भी करती हैं।

आशीष नामदेव, भोपाल। शक्ति आराधना के पर्व नवरात्रि में हरिभूमि प्रतिदिन एक ऐसी महिला के संघर्ष से रूबरू कराता है, जो अपने काम और विचारों से समाज को दिशा देती हैं। भोपाल की राशिदा रियाज भी इन्हीं महिलाओं में से एक हैं। जिन्होंने तमाम मुश्किलों और चुनौतियों को स्वीकारते हुए न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि जरूरतमंद परिवार के बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य जरूरतों को पूरी कर रही हैं। गुरुवार, 10 अक्टूबर को राशिदा के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातों को जानेंगे।

समाजसेवी राशिदा रियाज ने हरिभूमि से खास बातचीत में बताया, वह पिछले 10 साल से समाजसेवा के काम में जुड़ी हैं। लोगों की मदद करना उन्हें पसंद है। इसलिए शहर के लोगों की शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य, रोजगार और भोजन संबंधी जरूरतों को पूरा करती रहती हूं। समाजसेवा के लिए किसी एनजीओ की जरूरत नहीं है। बिना किसी को बताए भी समाजसेवा कर सकते हैं।

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ट्रक डेकोरेशन से शुरू किया रोजगार
राशिदा रियाज ने कहा, मैंने ट्रक डेकोरेशन से अपने रोजगार की शुरुआत की है। यह काम अमूनन पुरुष करते हैं। लेकिन मैंने बिना झिझक और भेदभाव के इस काम को किया है। आज शहर की कई महिलाएं इस काम में मेरे साथ जुड़ी हुई हैं। साइकलिंग और एक्सरसाइज भी करती हूं।

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गरीब बस्तियों में जाकर बांटती हूं खाना
मुझे गरीब बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है, इसलिए मैंने बच्चों की मदद करने का सोचा। कई बच्चों को ओपन क्लास रूम की तरह उनके क्षेत्र में जाकर पढ़ाती हूं। साथ ही जरूरतमंद परिवारों के भोजन पानी की भी व्यवस्था करती रहती हूं। ्र

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कई महिला को मिला रोजगार
मैंने ऐसे व्यापार किया जो ज्यादातर आदमी लोग ही करती हैं। मैंने ट्रक के अंदर लगने वाले डेकोरेशन से व्यापार करना शुरू किया। आज शहर की कई महिलाओं को इस काम से रोजगार मिला है। मुझे इससे खुशी मिलती है। आज ट्रक डेकोरेशन के लिए कई महिला मेरे साथ काम कर रही हैं।

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कोविड के दौरान लक्ष्य था कोई भूखा न सोए
कोविड का बुरे समय से जब पूरा समाज घर में छिप गया था, तब भी मैं और मेरे साथियों ने लोगों को दवा, भोजन, किराया, रहने की व्यवस्था कराई। ताकि लोग मुसीबत से बाहर निकल सकें। वह दौर कभी भुलने वाला नहीं है। इस दौरान कई लोगों ने परिवारों को खोया है। पानी तक लिए भी परेशान थे। कोविड के दौरान हमारा लक्ष्य था कोई भूखा न रह जाए।

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