Research of AIIMS Bhopal: मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए चिंताजनक खबर है। 14 से 19 साल तक के 77 फीसदी स्टूडेंट्स चिंतन ज्यादा करते हैं। 31% खुश नहीं रहते। 56% के अंदर उतावलापन रहता है। 59 प्रतिशत को गुस्सा ज्यादा आता है। 71 फीसदी छात्र और 29 फीसदी छात्राएं समय पर सोते नहीं हैं। रात 10 से दो बजे के बीच इन छात्र-छात्राओं को नींद आती है। एम्स भोपाल की स्टूडेंट्स के मानसिक स्वास्थ्य को समझने के लिए हुए शोध में यह खुलासा हुआ है।
डिस्प्ले डिवाइस का ज्यादा उपयोग बड़ा कारण
एम्स भोपाल के बाल मनोवैज्ञानिक डॉक्टर अनुराधा कुशवाह, रोशन सुतार, रेवड़ी और राजकुमार पाटिल ने युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को समझने के लिए दो साल की केस स्टडी की। डॉक्टरों ने 9वीं से प्री यूनिवर्सिटी तक के 413 युवाओं में नींद, व्यायाम और सोशल मीडिया के उपयोग पैटर्न की पड़ताल की। रिसर्च में डॉक्टरों ने पाया कि 38 फीसदी युवा अकेलापन महसूस करते हैं। 76 फीसदी को थकान महसूस होती है। इसके पीछे दोस्तों और खेलकूद से दूरी के साथ डिस्प्ले डिवाइस का ज्यादा उपयोग बड़ा कारण है। डिस्प्ले डिवाइस के उपयोग से युवाओं के ब्रेन विकास पर बड़ा असर पड़ रहा है।
डॉक्टरों ने ये सुझाव दिए
- अपने बच्चों के स्मार्टफोन के स्वस्थ उपयोग को बढ़ावा दें
- बाहरी गतिविधियों में संलग्नता बढ़ाएं
- शारीरिक व्यायाम और निश्चित नींद जागने के चक्र की निगरानी करें
- शैक्षिक नीतियों में बदलाव, शिक्षण-सीखने के तरीकों में बदलाव हो
मानसिक समस्या का कारण
- 71% छात्राएं, 29% छात्र ही रात 10 बजे तक सोने जाते हैं। शेष के सोने का समय रात 10 से 2 बजे के बीच है।
- 14 से 16 साल के 71 प्रतिशत बच्चे तो 17 से 19 साल के 29 प्रतिशत टीवी ज्यादा देखते हैं।
- 14 से 16 साल के 69% बच्चे और 17 से 19 साल के 31 फीसदी सोशल मीडिया का ज्यादा प्रयोग करते हैं।
- गांव में रहने वाले 78% छात्र-छात्राएं तो शहर के सिर्फ 22% आठ घंटे की नींद लेते हैं।