Bina MLA Nirmala Sapre crisis : सागर जिले के बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की विधायकी संकट में है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने उन्हें नोटिस जारी किया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दलबदल कानून के तहत उनकी विधायकी निरस्त करने की मांग की है। कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से भी जवाब मांगा है।
लोकसभा चुनाव से पहले दलबदल
दरअसल, लोकसभा चुनाव के पहले निर्मल सप्रे सहित कांग्रेस के तीन विधायकों ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा और श्योपुर की विजयपुर सीट में इस्तीफे के बाद उपचुनाव भी हो गए, लेकिन निर्मला सप्रे ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया। लिहाजा, नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की है।
19 जनवरी को अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ में सोमवा को मामले की सुनवाई हुई। जिसमें विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर और विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी किया गया है। अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी। जिसमें नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है।
यह भी पढ़ें: कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट में MP-हरियाणा के छात्रों का दबदबा, इंदौर के साहिल-अदिति ने भी किया टॉप
हाईकोर्ट ने यूं चली सुनवाई
- अधिवक्ता विभोर खंडेलवाल और जयेश गुरनानी ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का पक्ष रखते हुए हाईकोर्ट को बताया कि कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे सदस्यता के योग्य नहीं हैं। मई में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया है। 5 जुलाई 2024 को स्पीकर के समक्ष याचिका दायर की गई, लेकिन अब तक फैसला नहीं हुआ।
- कांग्रेस ने स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर को भी पार्टी बनाया है। कहा, मामले में उन्होंने निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की। इस पर एडिशनल एडवोकेट जनरल आनंद सोनी ने याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा, सदस्यता पर अंतिम फैसला विधानसभा स्पीकर का होता है।
- विभोर खंडेलवाल ने इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, इस तरह के मामले तीन माह के अंदर निराकृत करने होते हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।