MP News: कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए अमरवाड़ा के नवनिर्वाचित विधायक कमलेश शाह को मंत्री बनाने का मसला ठंडे बस्ते में चला गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान जब वे भाजपा में शामिल हुए थे, तब उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का आश्वासन दिया गया था। लगता है भाजपा नेतृत्व राम निवास रावत को मंत्री बनाने पर पार्टी के अंदर से उठी प्रतिक्रिया से डर गई है।

राम निवास को मंत्री बनाने का गोपाल भार्गव और अजय विश्नोई जैसे नेताओं ने विरोध किया था और नागर सिंह चौहान तो दिल्ली तक पहुंच गए थे। लिहाजा, भाजपा फिलहाल रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं है। लिहाजा, कमलेश शाह को मंत्री बनाना टाल दिया गया है।

कांग्रेस से आए नेताओं को तवज्जो से बड़ा असंतोष
लोकसभा चुनाव के दौरान अमरवाड़ा से आदिवासी विधायक कमलेश शाह को कांग्रेस नेता कमलनाथ को कमजोर करने और उनके गढ़ को ध्वस्त करने के उद्देश्य से भाजपा में लाया गया था। भाजपा का कहना था कि पार्टी छिंदवाड़ा में नया नेतृत्व डेवलप करना चाहती है। कमलेश के आने के बाद भाजपा लोकसभा के साथ विधानसभा का उप चुनाव भी जीत गई, फिर भी कमलेश को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। 

इसकी वजह है कांग्रेस से आए नेताओं को तवज्जो देने से भाजपा के अंदर बढ़ता असंतोष। इतना ही नहीं, मूल कार्यकर्ताओं का मनोबल भी कमजोर हो रहा है। इन सब कारणों को देखते हुए फिलहाल शाह को मंत्रिमंडल में शामिल करने के विचार पर विराम लगा दिया गया है। कमलेश शाह ने कहा है कि वे क्षेत्र के विकास के लिए भाजपा में शामिल हुए थे न कि मंत्री बनने।

रावत को मंत्री बनाने के साथ बदले समीकरण
अमरवाड़ा उपचुनाव के लिए 10 जुलाई को वोटिंग थी। इससे ठीक दो दिन पहले 8 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत को मंत्री पद व की शपथ दिलाई गई। हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार से एक दिन पहले 7 जुलाई को कमलेश शाह को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा चलती रही। शाह को बधाई देने तक का सिलसिला शुरू हो गया था। पर जल्द ही ऐसी अटकलों पर विराम लग गया, जब शाह के पास भोपाल से कोई कॉल नहीं पहुंचा। उन्हें पार्टी नेताओं ने जानकारी दी कि आचार संहिता के कारण उन्हें मंत्री पद नहीं दिया जाएगा।

खबर है कि यदि कमलेश शाह को मंत्री बनाना था तो एक हफ्ते के लिए मंत्रिमंडल विस्तार टाला जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। साफ है कि कमलेश को मंत्री न बनाने की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। हालांकि मुख्यमंत्री ने राम निवास को मंत्री बनाए जाने के बाद भी शाह को मंत्रिमंडल में शामिल करने के संकेत दिए थे, लेकिन बाद में भाजपा नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया के बाद इरादा बदल दिया गया।