MP News : मध्य प्रदेश सरकार ने वन अपराध के मामले में आदिवासियों को बड़ी राहत देने का फैसला किया है। आदिवासियों पर दर्ज किए गए पूर्व के प्रकरणों को समाप्त करने की तैयारी की जा रही है। इन प्रकरणों के निराकरण के लिए प्रारूप भी तैयार कर लिया गया है।
कार्ययोजना भेजी
प्रदेश में करीब 8 हजार वन अपराध के पूर्व के मामले को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। आदिवासियों पर दर्ज हुए प्रकरणों को खत्म किया जायेगा। इसके लिए वन मुख्यालय ने सभी डीएफओ को कार्ययोजना भेजी है। पिछले 10 वर्षों में पंजीबद्ध किए गए प्रकरणों के निराकरण के लिए कार्ययोजना अब तैयार कर ली गई है, जिन्हें समाप्त किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
न्यायालय में लंबित
वन अपराध मामले में कार्य योजना के अनुसार, आने वाले 3 महीनों में वन अधिनियम 1927 एवं वन्य प्राणी (संरक्षण अधिनियम 1972) के अंतर्गत अनुसूचित जनजातीय वर्ग के व्यक्तियों के विरुद्ध अब तक लंबित 3470 प्रकरणों के निराकरण के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है, जिन्हें समाप्त किया जाना है। वन मुख्यालय के अनुसार, वन विभाग एवं न्यायालय में लंबित कुल प्रकरणों की संख्या 7 हजार 902 है। न्यायालय में लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण के मामले में भी न्यायालय से राज्य सरकार अनुरोध कर रही है।
22 हजार 717 प्रकरण
वन मुख्यालय के अनुसार प्रदेश के 40 जिलों के वनमंडलों में लगभग 100 प्रकरण हैं। इनमें से वन विभाग के पास 875 प्रकरण लंबित हैं जिन्हें एक माह में निराकृत किया जाना है। प्रदेश में पिछले 10 वर्षों में 30 हजार से ज्यादा प्रकरण दर्ज किए गए थे, जब कि 22 हजार 717 प्रकरणों को निराकृत किया गया है।
जल्द निराकृत
जानकारी यह भी सामने आई है कि प्रदेश के 11 जिलों जिनमें सतना, बालाघाट, बैतूल, रायसेन, सागर, दमोह, सिवनी, उमरिया, अनूपपुर, शिवपुरी एवं गुना के वनमंडलों में कुल मिलाकर 300 प्रकरण हैं, इन जिलों में 2085 प्रकरण लंबित हैं, जिन्हें जल्द ही निराकृत किया जायेगा। बुरहानपुर जिले के वनमंडल में भी 300 से अधिक प्रकरण हैं, वन विभाग के पास यहां पर 513 प्रकरण लंबित हैं। सभी प्रकरणों को जल्द ही निराकृत किया जायेगा।