Chhindwara progressive farmer: आधुनिक तकनीक और नए प्रयोग से किसान खेती को लाभ का धंध बना रहे हैं। छिंदवाड़ा के पूरनलाल इन्हीं किसानों में शामिल हैं। केले की प्राकृतिक खेती से वह हर साल लाखों की इनकम कर रहे हैं। खेती में नए प्रयोग कर पूरनलाल ने न सिर्फ आर्थिक उन्नति की है, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए। पढ़ें वीरेंद्र कुशवाह की विस्तृत रिपोर्ट...। 

छिंदवाड़ा जिले के हर्रई निवासी पूरनलाल ने अपने खेत में टिश्यू कल्चर से तैयार जी-9 किस्म का केला लगाया है। केले की यह किस्म अच्छे उत्पादन के लिए जानी जाती है। पूरनलाल ने बताया कि इस साल 4 लाख के केले बेचे हैं। यह केले महज एक एकड़ खेत से निकले हैं।  

केले के बेहतर उत्पादन को देखते हुए पूरनलाल ने अब पूरे खेत में प्राकृतिक खेती से पैदावार लेने की सोच रहे हैं। बताया कि हर सीजन में वह अलग-अलग फसलों की खेती करेंगे, लेकिन इनका तरीका प्राकृतिक ही होगा। 

समन्वित खेती बढ़ा मुनाफा 
पूरनलाल इनवाती हरई ब्लॉक के भुमका गांव में रहते हैं। उन्होंने बताया कि केले के अलावा वह बैगन, टमाटर, मक्का की खेती भी करते हैं। उन्होंने अपने खेत में आम, कटहल, आंवला, सेब, एप्पल बेर, ड्रैगन फ्रूट, नीबू, संतरा और काजू के पौधे भी लगाए हुए हैं। जिससे हर साल लाखों का मुनाफा होता है। 

ड्रिप इरीगेशन, खुद बनाते हैं खाद 
पूरनलाल ने अपने खेत में ड्रिप इरीगेशन सिस्टम (टपक सिंचाई पद्धति) लगा रखा है। वह अपनी फसल के अवशेषों का समुचित प्रबंधन कर इससे खाद तैयार करते हैं। जो इनकी फसलों के लिए अमृत का काम करती है। मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। उसकी उर्वररता भी बढ़ती है।

मुनाफे के साथ बढ़ा मान 
पूरनलाल ने बताया कि उनके खेत से पैदा हुआ केला जबलपुर मंडी में छिन्दवाड़ा केले के नाम से प्रसिद्ध है। सामान्य केले का दाम 15 से 18 रुपए प्रति किलो मिलता है, लेकिन द्वारा प्राकृतिक खेती से उत्पादित केला 25 रुपए किलो की दर से बिकता है। इस तरह उन्हें अतिरिक्त आय होती है। जबलपुर मंडी में पूरनलाल अब बेहतर क्वालिटी के केले के लिए फेसम हो गए हैं। 

कैश क्रॉप और पशुपालन से बढ़ी आय 
पूरनलाल प्राकृतिक खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं। वह कड़कनाथ (मुर्गा), बकरी और मछली पालन का व्यवसाय करते हैं। खेत के हर कोने को पूरनलाल ने सही तरीके से उपयोग कर रहे हैं। उनके पास 6 एकड़ कृषि भूमि है। जिसमें समन्वित तरीके से विभिन्न प्रकार के फल-सब्जियों का उत्पादन करते हैं। खेती और पशुपालन के जरिए वह हर साल लाखों की इनकम करते हैं।