भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव फिर दिल्ली दौरे पर हैं। जल्द मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो सकता है। सीएम बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर विभाग बंटवारे पर फाइनल चर्चा कर सकते हैं। सीएम गुरुवार रात 9 बजे प्राइवेट विमान से दिल्ली के लिए रवाना हुए। दिल्ली रवाना होने से पहले सीएम ने बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा से उनके घर पर मुलाकात की। भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली से भोपाल लौटने के बाद सीएम कभी भी मंत्रियों को विभाग बंटवारे का ऐलान कर सकते हैं।
मोहन सरकार के 28 मंत्रियों ने 25 को ली थी शपथ
बता दें कि डॉ. मोहन मंत्रिमंडल का विस्तार 25 दिसंब को हुआ था। जिसके तहत 28 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। इसके तीन दिन बाद भी मंत्रियों को विभागों का बंटवारा नहीं हुआ है। इसे लेकर कांग्रेस ने सरकार पर तंज कसा है।
कांग्रेस ने मोहन सरकार पर कसा तंज...
'गृह विभाग को लेकर सबकी लार लटक रही'
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक्स पर शुक्रवार शाम को फिर एक पोस्ट डाली। उमंग ने एक्स पर लिखा है कि जो कहा था वो सही निकला कि नहीं? अब मोहन यादव मंत्रियों के विभागों की लिस्ट लेने दिल्ली गए हैं। क्योंकि सब वहीं से तय होता है। गृह विभाग को लेकर सबकी लार लटक रही है। जबकि, सीएम चाहते हैं कि किसी डिप्टी सीएम को गृह विभाग मिले। क्योंकि चाशनी वाले विभाग हर मंत्री की चाहत है। डॉ मोहन यादव नहीं चाहते कि कोई बल्लम नेता गृह विभाग लेकर उनकी छाती पर मूंग दले! इसे मुख्यमंत्री की बेचारगी माना जाना चाहिए कि वे राजा तो बना दिए गए, पर सेनापतियों की कमान उनके हाथ में नहीं है।
'नए नवेले मुख्यमंत्री को कोई अधिकार दिया भी है या नहीं'
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने गुरुवार को भी सोशल मीडिया पर लिखा था कि सीएम के चेयन का फैसला 10 दिन में, मंत्रिमंडल का फैसला 12 दिन में, अब विभागों के बंटवारे में देरी और खींचतान जारी है। उमंग ने आगे लिखा, आखिर प्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री को कोई अधिकार दिया भी गया है कि नहीं, या सारे फरमान दिल्ली दरबार से जारी हो रहे हैं। डबल इंजन की सरकार में दिल्ली का इंजन ही चलता दिखाई दे रहा है।
अधिकारियों में असमंजस का माहौल
मुख्यमंत्री मोहन के साथ 13 दिसंबर को शपथ लेने वाले दोनों डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा को भी पद संभाले 15 दिन बीत चुके हैं। उनके पास फिलहाल कोई विभाग नहीं है। मंत्रियों को विभागों का बंटवारा न होने से अधिकारियों में भी असमंजस का माहौल है।