नागपंचमी 2024: नागचंद्रेश्वर मंदिर में 3 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, साल में एक बार खुलते हैं मंदिर के पट

Nagchandreshwar Temple Ujjain
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Nagchandreshwar Temple Ujjain
Nagchandreshwar Temple Ujjain: साल में एक बार नागपंचमी पर खुलने वाले उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 8 अगस्त की रात 12 बजे खुल गए हैं। 9 अगस्त सुबह 10 बजे तक दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर चुके हैं।

Nagchandreshwar Temple Ujjain: आज नागपंचमी है। साल में एक बार खुलने वाले नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 8 अगस्त की रात 12 बजे खोले गए। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के शिखर पर विराजे नागचंद्रेश्वर 24 घंटे तक श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। 9 अगस्त रात 12 बजे के बाद पट फिर एक साल के लिए बंद हो जाएंगे।गुरुवार रात 12 बजे पट खुलते ही सबसे पहले श्री पंचायती ‎महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज और श्री‎ महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने त्रिकाल पूजा की।

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उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर में शुक्रवार को नागपंचमी पर श्रद्धालुओं की खासी भीड़ है। दोपहर 1 बजे यहां 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। 10 लाख श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान है। नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट नाग पंचमी पर साल में एक बार ही खुलते हैं। कलेक्टर नीरज सिंह ने त्रिकाल पूजा के बाद आम लोगों को मंदिर में प्रवेश शुरू कराया।

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10 लाख भक्तों के पहुंचने का अनुमान
एक घंटे चली त्रिकाल पूजा और भोग लगाने के बाद आम लोगों को दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश दिया गया। दर्शन के लिए गुरुवार रात 10 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटना शुरू हो गई थी। पट खुलने के बाद रात 1 बजे से दर्शन शुरू हो गए। सुबह साढ़े 10 बजे तक दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर चुके हैं। 24 घंटे में 10 लाख श्रद्धालुओं के महाकाल मंदिर में आने का अनुमान है।

11वीं शताब्दी की प्रतिमा नेपाल से आई थी
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर है। उसके शीर्ष पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में नाग देवता की मूर्ति फन फैलाए हुए मुद्रा में है। उनके ऊपर शिव-पार्वती विराजमान हैं। नागचंद्रेश्वर इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां विष्णु भगवान की जगह भगवान शिवसर्प शय्या पर सवार हैं। यह प्रतिमा नेपाल से उज्जैन लाई गई थी। मान्‍यता है कि उज्‍जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

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