Shri Krishna Janmashtami: भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का रस, जिसने सुर ताल सबको भुला कर सिर्फ महामंत्र के जाप के नशे ने दुनिया को एक अलग नजरिए से देखने का मौका दिया। जिसके सब दीवाने हो गए और वो भक्ति रस का नशा इतना की महिला भक्तों ने तो शादी नहीं करने तक का फैसला ले लिया, तो किसी ने अपने पति से दूरी बनाकर श्रीकृष्ण को ही सब कुछ मान लिया।

हरे कृष्णा, हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा, हरे हरे, हरे रामा, हरे रामा, रामा रामा, हरे हरे... सुनते ही लोगों के हाथ और पैर दोनों ही उछलने लगते हैं। यह विश्व का महामंत्र लोगों के लिए इस संसार में लोगों को माया से दूर रखने के लिए काफी है। इसका गुणगान सिर्फ भारत ही नहीं पूरे विश्व में हो रहा है। विदेशों में जब लोग नशा किया करते थे, तब स्वामी प्रभुपाद ने लोगों को एक ऐसा नशा दिया। ऐसी ही कुछ युवती और महिलाओं से हरिभूमि ने जन्माष्टमी पर्व पर खास बातचीत की।

नैन मंजरी 2017 से कर रहीं जाप
आज के कलयुग में हर व्यक्ति भौतिक जीवन में जीना चाहता है. लेकिन कुछ भगवान की असली भक्त इस तरह भी होती हैं, जो उन्हें ही सब मानती है। ऐसी ही 29 वर्षीय नैन मंजरी दासी ने बताया कि 2017 से ही श्रीकृष्ण का जाप कर रही हैं। श्रीकृष्ण को ही मैं अपना सब कुछ मानती हूं, जिसके चलते मैंने विवाह नहीं करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि सारे संबंध संसार के द्वारा बनाए गए संबंध है, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण से बना हुआ संबंध अनंत है. जो कभी खत्म नहीं होगा। इसलिए मुझे श्रीकृष्ण के साथ बना हुआ रिश्ता ही असली रिश्ता लगता है। मैं उनकी भक्ति में व्यस्त रहकर बहुत खुश रहती हूं।

87 वर्षीय ललिता दासी ने नहीं की शादी
87 वर्षीय श्रीकृष्ण की दासी ललिता ने बताया कि 12 वर्ष की उम्र में ही भक्ति प्रज्ञान केशव गोस्वामी के पास आ गई थीं, जिसके बाद से ही गुरु जी की खूब सेवा की। उनकी सेवा के चलते ही बिना पढ़े ही गुरु कृपा से भागवत के सिद्धांत प्रतिष्ठित हो पाए हैं। मैं प्रतिदिन 2 लाख हरिनाम का जाप करती हूं, इस जाप से में खूब आनंद में रहती हूं। मेरे लिए सब कुछ मेरे श्रीकृष्ण ही हैं। मैंने बहुत कम उम्र में ही शादी नहीं करने का फैसला कर लिया। वहीं कथावाचक और वैष्णव चिराग दास ने बताया कि माता ललिता ने जिस तरह श्रीकृष्ण और गुरु की सेवा की है उस तरह कोई आम व्यक्ति सेवा नहीं कर सकता है, उन्हें में प्रणाम करता हूं।

श्रीकृष्ण के लिए मीरा की तरह बनी दासी
मीरा की तरह माया और परिवार से दूर होकर श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन मणि मंजरी दासी ने बताया कि काफी समय पहले माया की दुनिया से अलग रहने का फैसला किया था। मेरा सौभाग्य है कि मैं गाड़िया मठ और गुरु बीवी श्रीधर महाराज से जुड़ पाई, जिनके जरिए मैं जान पाई सांसारिक और माया की दुनिया में हम लोग किस तरह से फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षित शरीर नहीं आत्मा, हम लोग माया के बंधन में बंधे हुए हैं। गुरु की महिमा के चलते ही हम इस दलदल से बाहर निकल सकते हैं। वास्तव में पूरा संसार ही इस दलदल में फंसा हुआ है। श्रीकृष्ण बहुत कठिन परीक्षा लेते हैं, लेकिन गुरू हमें हर परेशानी से आसानी से बाहर निकाल लेते हैं।