Medicinal Farming in MP: मध्य प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने आयुष विभाग विशेष योजना पर काम कर रहा है। एमपी में वन डिस्ट्रिक वन उत्पाद की तर्ज पर मेडिसिन प्लांट की खेती की जाएगी। इससे किसानों के साथ व्यापारियों से को भी फायदा होगा।
राज्य की मोहन यादव सरकार ने राष्ट्रीय मेडिसिनल प्लांट बोर्ड की मदद से औषधीय खेती को बढ़ावा देगी। इस स्कीम से तहत किसान परंपरागत खेती के साथ औषधीय फसलों का उत्पादन करेंगे।
मध्य प्रदेश में औषधीय फसलों का रकबा और उत्पादन
फसल | क्षेत्रफल (हेक्टेयर में) | उत्पादन (टन में) |
अश्वगंधा | 6611 | 9233 |
सफेद मूसली | 1854 | 6460 |
ईसबगोल | 12993 | 14415 |
कोलियस | 954 | 3717 |
अन्य | 23113 | 86902 |
योग | 45525 | 120728 |
जैविक तरीके से होगी खेती
मध्य प्रदेश को औषधीय खेती का हब बनाने की तैयारी है। आयुष विभाग हर जिले से मिट्टी और जलवायु की जानकारी जुटा रहा है। ताकि, किसानों को जरूरी तकनीक और प्रशिक्षण दिया जा सके। यह खेती पूर्णत: जैविक तरीके से की जाएगी। ताकि, निर्यात औषधीय उत्पाद अच्छी गुणवत्ता को हो और उसका निर्यात भी किया जा सके।
जलवायु और मिट्टी की जांच
आयुष विभाग ने एक जिला एक मेडिसनल प्लांट की तैयारी शुरू कर दी है। प्रारंभिक तौर पर हर जिलों से जलवायु सहित मिट्टी की रिपोर्ट ली जा रही है। पौधों के अनुकूल वातावरण वाले जिलों को उस खास मेडिसनल प्लांट के लिए चुना जाएगा। किसानों को अच्छे बीज पौधों के साथ ही प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
व्यापारियों को फायदा
मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के सीईओ संजय मिश्रा ने बताया कि प्रदेश में अभी नीमच एकमात्र मंडी है। जहां के किसान सिर्फ कॉन्ट्रेक्ट खेती करते हैं। नई नीति से व्यापारियों को औषधीय फसलें आसानी से मिल सकेंगी।
यह भी पढ़ें: एक हेक्टेयर खेत से 10 लाख की कमाई: नीमच के रघुवीर सिंह ने लहसुन की उन्नत खेती से बदली किस्मत
MP में 1.20 लाख टन उत्पादन
मध्य प्रदेश में अभी 45,525 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती होती है। सफेद मूसली, ईसबगोल और अश्वगंधा का उत्पादन अभी सर्वाधिक है। असंगठित खेती से 1 लाख 20 हजार 728 टन औषधीय फसलों का उत्पादन होता है।