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Narendra Modi 3.0 Cabinet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3.0 कैबिनेट का गठन हो गया है। मध्यप्रदेश में भाजपा की रिकॉर्ड जीत के बाद कुछ सांसदों को बड़ी उम्मीद थी कि उन्हें इस बार मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी। लेकिन उन नेताओं के हाथ निराश लगी। 

Narendra Modi 3.0 Cabinet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 3.0 कैबिनेट के 72 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण कर ली है। पहली बार मध्यप्रदेश से एक साथ 5 मंत्रियों ने PM मोदी के साथ शपथ ली। एमपी में भाजपा की रिकॉर्ड जीत के बाद कुछ सांसदों को बड़ी उम्मीद थी कि उन्हें इस बार केंद्र में जगह मिलेगी। लेकिन उन नेताओं के हाथ निराश लगी। पांच बार के सांसद गणेश सिंह, एमपी भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, देश में सबसे ज्यादा वोटों से जीत हासिल करने वाले इंदौर सांसद शंकर लालवानी, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को मात देने वाले रोडमल नागर और पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते की केंद्रीय मंत्री बनने की उम्मीदें टूट गईं। जानिए कौन हैं ये सांसद, मोदी कैबिनेट में शामिल होने की क्यों चर्चा में थे। 

बड़ा ब्राह्मण चेहरा, संघ के चहेते भी हैं 
विष्णु दत्त शर्मा का जन्म 1 अक्टूबर 1970 को मुरैना के सुरजनपुर गांव में हुआ। वीडी एमपी भाजपा के अध्यक्ष के साथ-साथ भाजपा का बड़ा ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। संघ के भी चहेते हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में वीडी शर्मा ने खजुराहो से पांच लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार सांसद बने। 2019 में कांग्रेस की कविता सिंह को शिकस्त देकर वीडी पहली बार सांसद बने थे।  

जानें वीडी शर्मा का राजनीतिक कॅरिअर 
वीडी शर्मा 1986 में विद्यार्थी परिषद में सक्रिय हुए। 1993 से 1994 तक मध्यप्रदेश के राज्य सचिव रहे। 1995 से 2013 तक संगठन के प्रचारक रहे। 2001 से 2007 तक एबीवीपी राज्य संगठन सचिव रहे। इसके बाद एबीवीपी के राष्ट्रीय सचिव का पद संभाला। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय संगठन सचिव बने। 2007 से 2009 तक एबीवीपी के राष्ट्रीय महासचिव रहे।

2013 से भाजपा से जुड़े 
2013 में विधिवत रूप से भाजपा में आए। 2013 से 2018 तक भाजपा में प्रचारक रहे। अगस्त 2016 से प्रदेश महामंत्री की जिम्मेदारी संभाली। 2015 में नेहरू युवा केंद्र संगठन के उपाध्यक्ष भी रहे। केंद्र की मोदी सरकार ने दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री के तौर पर यह दायित्व सौंपा था। 2019 में खजुराहो से लोकसभा सदस्य चुने गए। वर्तमान में मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं।  

क्यों केंद्रीय मंत्री बनने की थी उम्मीद 
मध्यप्रदेश में संगठनात्मक फेरबदल होना है। क्योंकि वीडी शर्मा के अध्यक्षीय कार्यकाल का पांचवां साल शुरू हो गया है। फरवरी 2023 में उनका निर्वाचित कार्यकाल पूरा हो चुका है। चूंकि विधानसभा चुनाव थे, इसलिए दिल्ली ने कोई बदलाव नहीं किया। विधानसभा के बाद तीन महीने के अंतराल में लोकसभा चुनाव भी शुरू हो गया। इसीलिए यह बदलाव अब जल्द होने की संभावना है। संगठन के चुनाव जल्द होने का ऐलान हो सकता है। इसी को देखते हुए वीडी को उम्मीद थी कि उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब उम्मीद है कि राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है।  

कौन हैं गणेश सिंह, क्यों थी मंत्री बनने की उम्मीद
पांच बार के सांसद गणेश सिंह का जन्म सतना के खम्हरिया गांव में 2 जुलाई 1962 को हुआ था। गणेश पिछड़ा वर्ग के बड़े चेहरे माने जाते हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा को शिकस्त देकर लगातार पांचवीं बार सांसद बने। गणेश सिंह ने सियासी कॅरियर की शुरुआत जिला पंचायत से की थी । एक बार जिला पंचायत सदस्य और दूसरी बार अध्यक्ष बने। 2003 में उमा भारती मुख्यमंत्री बनीं तो गणेश सिंह ने कुछ समर्थकों के साथ भाजपा ज्वाइन की। 

2004 में पहली बार बने सांसद
पार्टी ने अपने कद्दावर नेता दो बार के सांसद रामानंद सिंह की टिकट काटकर गणेश सिंह को 2004 में लोकसभा के मैदान में उतारा। कांग्रेस के राजेंद्र सिंह को शिकस्त देकर गणेश पहली बार सांसद बने। जिसके बाद से वे लगातार जीत रहे हैं। कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गणेश सिंह ने सर्वहारा वर्ग में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। लगातार पांचवीं बार जीत हासिल करने वाले गणेश को बड़ी उम्मीद थी कि इस बार जरूर उन्हें केंद्र में जगह मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

देश में सबसे बड़ी जीत, फिर भी नहीं बने मंत्री 
इंदौर से शंकर लालवानी ने 2024 का लोकसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचा है। लालवानी ने देश में सबसे बड़ी जीत दर्ज की है। 12.26 लाख वोट हासिल करने वाले लालवानी ने बसपा के संजय सोलंकी को 11.75 लाख वोटों से हराकर सांसदी का चुनाव जीता। लालवानी सिंधी समाज का बड़ा चेहरा माने जाते हैं। स्थानीय स्तर पर लालवानी की छबी अच्छी है। देश में सबसे बड़ी जीत हासिल करने और सिंधी समाज से होने के नाते उन्हें उम्मीद थी कि इस बार मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन नहीं मिली। 

जानें लालवानी का राजनीतिक करिअर 
शंकर लालवानी का जन्म 16 अक्टूबर 1961 को इंदौर में हुआ था। उनके पिता जमनादास लालवानी अखंड भारत के विभाजन से पहले इंदौर आए थे।  लालवानी पोस्ट ग्रेजुएड हैं। 1994 से 1999 तक इंदौर नगर निगम में पार्षद रहे। 1999 से 2004 तक इंदौर नगर निगम के सभापति पद पर रहे। साल 2013 में इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बनाए गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में लालवानी ने 5 लाख 47 हज़ार वोटों से कांग्रेस के पंकज संघवी को हराया था। 

आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते नहीं बने मंत्री
नरेन्द्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में मंत्री रहे फग्गन सिंह कुलस्ते का भी पत्ता कट गया है। 18 मई 1959 को मंडला में जन्मे फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी नेता हैं। कुलस्ते ने एलएलबी तक पढ़ाई की है।  1990 में मंडला जिले की निवास सीट से पहली बार विधायक बने। 1996 में पहली बार सांसद चुने गए। 1998, 1999, 2004 का लोकसभा चुनाव जीता। 2009 का चुनाव हारे। मोदी सरकार में केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री रहे हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में फग्गन सिंह कुलस्ते ने मंडला सीट से कांग्रेस के ओमकार सिंह को एक लाख से भी अधिक वोटों से हराकर 7वीं बार बने सांसद। सीनियरिटी में और आदिवासी नेता होने के नाते कुलस्ते को उम्मीद थी कि इस बार भी मोदी कैबिनेट में जगह मिलेगी। लेकिन उनकी उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा। 

कौन हैं रोडमल नागर
कांग्रेस के सीनियर नेता व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गविजय सिंह को उनके गृहक्षेत्र राजगढ़ में करारी शिकस्त देने रोडमल नागर का नाम भी मंत्री पद के चल रहा था। उनके समर्थकों को उम्मीद थी कि लगातार तीन बार से जीत रहे नागर को इस बार मोदी कैबिनेट में जगह जरूर मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नागर के समर्थक निराशा हैं। 

2014 में पहली बार सांसद बने 
रोडमल नागर सामान्य किसान परिवर से ताल्लुक रखते हैं। राजगढ़ के पौचर में जन्म हुआ। परिवार में पत्नी कमला और दो बेटे हैं। 2014 में कांग्रेस के नारायण सिंह आमलाबे को 2 लाख से भी अधिक वोटों से हराकर पहली बार सांसद चुने गए थे। 2019 में उन्होंने मोना सुस्तानी को 4 लाख 31 हजार वोटों से हराया था। जबकि, 2024 में दिग्विजय सिंह को करीब सवा लाख वोटों से हराकर जीत की हैट्रिक बनाई है। वह संघ और भाजपा के समर्पित नेताओं में शुमार हैं।

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