भोपाल। राजभवन के सांदीपनि सभागार में विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 101वीं बैठक बुधवार को हुई। बैठक में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि यूनिवर्सिटी युवाओं में माता-पिता के प्रति श्रद्धा और सम्मान के भाव उत्पन्न करने के प्रयास करे। जीवन के सभी सुखों का आधार अच्छा स्वास्थ्य है। जरूरी है कि विद्यार्थियों में पौष्टिक खान-पान की प्रवृत्तियों को विकसित किया जाए।

शिक्षा का उद्देश्य संवेदनशील और कर्मठ नागरिक बनाना 
राज्यपाल ने आगे कहा कि शिक्षा का उद्देश्य संवेदनशील और कर्मठ नागरिक बनाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य ज्ञान के विस्तार के साथ ही श्रेष्ठ मानव तैयार करना है। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों से अपेक्षा की है कि उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों को ज्ञान, विज्ञान के साथ ही नैतिक मूल्यों, सांस्कृतिक परम्पराओं, संस्कारों और व्यवहारिक जीवन के गुणों को भी रोपित करें। इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार भी मौजूद थे।

सामाजिक सरोकारों के प्रति सजगता जरूरी 
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयीन पाठ्यक्रमों में मानवीय मूल्यों का समावेशन जरूरी है। शिक्षा का अंतिम उद्देश्य समर्पित, संवेदनशील और कर्मठ नागरिक बनाना है। यह समझना जरूरी है कि मात्र ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी विकास समग्र शिक्षा नहीं है। विद्यार्थियों में सामाजिक समरसता, पर्यावरणीय चेतना और महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक सरोकारों के प्रति सजगता और सक्रियता का होना भी जरूरी है। 

राजभवन के सांदीपनि सभागार में विश्वविद्यालय समन्वय समिति की 101वीं बैठक बुधवार को हुई।

विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को संस्कारित किया जाना चाहिए 
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक का दायित्व है कि विद्यार्थियों को हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक परम्पराओं और विरासत के संस्कारों से दीक्षित करें, ताकि विद्यार्थी भावी जीवन में हमारी संस्कृति की जड़ों से जुड़े रह कर, विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति करे। विश्वविद्यालयों में सामान्यतः विद्यार्थी 4 से 5 वर्ष अध्ययन करते हैं। इस अवधि में विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास में शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। समाज के वंचित वर्गों के कल्याण, सामाजिक सरोकारों में सहभागिता, समाज और राष्ट्र के प्रति सेवा की भावना और संवेदनशीलता के गुणों से विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों को संस्कारित किया जाना चाहिए। 

विद्यार्थियों में पौष्टिक खान-पान की प्रवृत्तियों को विकसित किया जाए 
राज्यपाल ने कहा कि संवेदनशीलता मानव की प्रकृति का मूलभूत तत्व है, आवश्यकता उसे जगाने की है। विश्वविद्यालय युवाओं में माता-पिता के प्रति श्रद्धा और सम्मान के भाव उत्पन्न करने के प्रयास करे। उन्होंने कहा कि जीवन के सभी सुखों का आधार अच्छा स्वास्थ्य है। जरूरी है कि विद्यार्थियों में पौष्टिक खान-पान की प्रवृत्तियों को विकसित किया जाए। राज्यपाल ने कहा कि  श्रीअन्न के सेवन, व्यायाम और नियमित जीवन शैली के अनुपालन के लिए प्रोत्साहित करें।