दीपक कौरव, भोपाल। मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षकों को सिर्फ सीधी भर्ती में ही 25 फीसदी का आरक्षण दिया जाएगा। वह सीधे नियमित नहीं हो सकेंगे। इसको लेकर लोक शिक्षण आयुक्त के एक पत्र ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। हाईकोर्ट के निर्णय के अनक्रम में याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन का आयुक्त लोक शिक्षण शिल्पा गुप्ता ने निराकरण कर दिया है। 

हाईकोर्ट के निर्देशों के पालन में लोक शिक्षण ने बताया कि मध्यप्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक संवर्ग) सेवा शर्ते एवं भर्ती नियम 2018 एवं संशोधित नियम 1 दिसंबर 2022 के अनुसार सीधी भर्ती से रिक्त पदों की पूर्ति हेतु नियम-8 के उप नियम (5) में शिक्षक पात्रता परीक्षा के उपरांत शिक्षक चयन परीक्षा के माध्यम से शिक्षक भर्ती का प्रावधान है। 

25 प्रतिशत पद रहेंगे आरक्षित
नियम 11 उपनियम 7 ख (चार) में अतिथि शिक्षकों के लिए शैक्षणिक संवर्ग अंतर्गत सीधी भर्ती के शिक्षकों के पदों के उपलब्ध रिक्तियों की 25 प्रतिशत रिक्तियां अतिथि शिक्षक वर्ग के लिए आरक्षित की जाएंगी। जिन उम्मीदवारों ने न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों और 200 दिवस मप्र शासन द्वारा संचालित शासकीय विद्यालयों में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य किया है, उन अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित पदों की पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में रिक्त रहे पदों की अन्य पात्रताधारी अभ्यर्थियों से भरा जाएगा। इस तरह से याचिका दायर करने वाले अतिथि शिक्षक फिरोज मंसूरी निवासी नीमच, बीरजा बघेल निवासी अलीराजपुर, राजेश कुमार चंद्रवंशी निवासी देवास, सुनील पिपलोदे निवासी बड़वानी की याचिका का निराकरण कर दिया गया है।

यह है पूरा मामला
दरअसल, प्रदेश के सरकारी स्कूलों में 71 हजार से अधिक शिक्षकों के पद खाली है। इन पदों के विरुद्ध अतिथि शिक्षक कार्य कर रहे हैं। इसमें से कई अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में सेवाएं देते हुए पंद्रह साल तक का समय हो चुका है। इसे लेकर कई अतिथि शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियमित करने की मांग की थी। अतिथि शिक्षकों का कहना था कि वे शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हैं तथा डीएड-बीएड भी हैं। तीन वर्ष से लेकर 15 वर्षों तक पढ़ाने का अनुभव है। अन्य राज्यों में अतिथि शिक्षकों को नियमित किया गया है। इस आधार पर मप्र में भी नियमित किया जाए। हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग को नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए।