krishna janmashtami 2024: देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है। मध्यप्रदेश के सभी जिलों में उत्सव का माहौल है। ग्वालियर के गोपाल मंदिर पर विशेष और भव्य आयोजन होंगे। मंदिर में 100 साल से अनूठी परंपरा निभाई जा रही है। गोपाल मंदिर में भगवान कृष्ण और राधा रानी को 100 करोड़ के आभूषण पहनाए जाते हैं। भगवान के इस विशेष शृंगार को देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु देखने आते हैं। इन आभूषणों में बेशकीमती रत्न हीरा, पन्ना, माणिक, मोती, पुखराज और नीलम जड़े हैं। ज्वेलरी 150 साल से ज्यादा पुराने सिंधिया रियासतकाल की है।
हर साल जन्माष्टमी पर शृंगार
भगवान को पहनाए जाने वाले आभूषण बेशकीमती हैं। गहनों में सालों पुराने हीरे, पन्ना, मोती जैसे कई और रत्न जड़े हुए हैं। भगवान के आभूषण सरकारी खजाने में कड़ी सुरक्षा के बीच लाए जाते हैं। श्रृंगार के समय पूरे मंदिर परिसर में कड़ी सुरक्षा रहती है और पुलिस के घेरे में भगवान को आभूषण पहनाए जाते हैं। हर साल जन्माष्टमी के अवसर पर इसी तरह रत्न जड़ित आभूषणों से भगवान का शृंगार किया जाता है।
माधवराव सिंधिया ने की थी मंदिर की स्थापना
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया ने 1921 में गोपाल मंदिर की स्थापना की थी। माधवराव ने भगवान की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और रत्न जड़ित सोने के आभूषण से बनवाए थे। आजादी से पहले भगवान इन जेवरों को धारण किए थे, लेकिन बाद में गहने लॉकर में रखवा दिए गए। 2007 में गहनों की देखरेख का जिम्मा नगर निगम को सौंपा। तब से हर साल जन्माष्टमी पर लॉकर से निकाला जाने लगा। हर साल भगवान को यही गहने पहनाए जाते हैं।
सुरक्षा में 200 जवान तैनात
श्रीराधा-कृष्ण के गहनों को सेंट्रल बैंक के लॉकर में रखा जाता है। लॉकर से गहने निकालने और रखने के दौरान 50 पुलिस जवान और अफसर ट्रिपल लेयर सिक्योरिटी में जाते हैं। आज त्योहार के दिन यहां सुरक्षा के लिए 200 से ज्यादा जवान तैनात किए जाएंगे। मंदिर की चारों तरफ से किलेबंदी की जाएगी। 50 से ज्यादा CCTV से नजर रखी जाएगी।
लाखों भक्त दर्शन को उमड़ते हैं
गहनों को पहनकर भगवान राधा-कृष्ण 24 घंटे सजीले स्वरूप में दर्शन देते हैं। भगवान का शृंगार 55 पन्नो और सात लड़ी का हार, हीरे जवाहरात से जड़ित मुकुट, 249 शुद्ध मोती की माला, हीरे जड़ित कंगन, रत्नजड़ित सोने की बांसुरी, चांदी का छत्र, सोने की नथ, कान के रत्नजड़ित झुमके, चूड़ियां और कड़े से होता है। मंदिर में जन्माष्टमी पर दो से ढाई लाख भक्त दर्शन के लिए करते हैं।