ग्वालियर। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दुष्कर्म की एफआइआर रद्द कर कहा कि पीड़िता 8 साल तक आरोपी के संपर्क में रही। सहमति से संबंध बनाए। जब शादी की बात की तो संबंधों में खटास आ गई। शादी के प्रयासों में असफल होने पर केस दर्ज कराया। वह संबंधों के परिणाम जानती थी। यदि मुकदमा चलाया तो कानून प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। बता दें एक युवती ने 22 अप्रैल को युवक पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाकर केस दर्ज कराया था।
मामले में कहीं भी जोर जबरदस्ती नहीं
युवती का आरोप था कि शादी का झांसा देकर आरोपी ने बार-बार बलात्कार किया। लक्ष्य राजपूत ने एफआइआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अवधेश प्रताप सिंह सिसौदिया ने तर्क दिया कि पीड़िता की उम्र 26 साल है, वह बालिग है। आठ साल से आरोपी के संपर्क में थी, सहमति से शारीरिक संबंध बनाए। पूरे मामले में कहीं भी जोर जबरदस्ती नहीं है।
पीड़िता अपना अच्छा बुरा सब जानती थी
धारा 164 के बयानों में बलात्कार की पुष्टि नहीं है। पीड़िता बालिग है और वह अपना अच्छा बुरा सब जानती थी। वह परिपक्व थी, कृत्य के परिणाम समझती थी। फिर भी संपर्क में आई। शादी नहीं की तो बलात्कार का केस दर्ज करा दिया। अभियोजन और पीड़िता की ओर से याचिका का विरोध किया गया, खारिज करने की मांग की। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद एफआइआर निरस्त कर दी।
दो धाराओं में दर्ज हुआ था केस
धारा 376 के तहत बलात्कार का केस दर्ज किया गया। धार 376 (2) के तहत भी केस दर्ज किया। बार-बार बलात्कार और धमकाने पर 506 भी लगाई गई। एफआईआर दर्ज कराने के साथ वाट्सऐप मैसेज भी पेश किए गए। पुलिस अधीक्षक से शिकायत के बाद एफआईआर दर्ज हुई।