महिला शक्ति को सलाम: हरदा की गीता पांडे ने 900 अज्ञात लाश के टुकड़ों का किया अंतिम संस्कार, 30 सालों से कर रहीं समाजसेवा

Harda Women Geeta Pandey Story: हरदा की रहने वाली गीता पांडे 30 सालों से समाजसेवा कर रही हैं। गीता ने करीब 900 अज्ञात लाश के टुकड़ों को एकत्रित करके अंतिम संस्कार किया है।;

Update: 2024-10-03 13:19 GMT
Harda Women Geeta Pandey
हरदा की गीता पांडे ने अबतक करीब 900 अज्ञात लाश के टुकड़ों का अंतिम संस्कार किया है।
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Harda Women Geeta Pandey Story (मधुरिमा राजपाल, भोपाल): मृत व्यक्ति की जब भी बात की जाती है, तो मृत शरीर के पास जाने या उन्हें मुखाग्नि देने में महिलाएं बेहद संवेदनशील मानी जाती हैं। लेकिन हमारे समाज में एक ऐसी भी महिला हैं जो न केवल अज्ञात मृत शरीरों को मुखाग्नि देती हैं बल्कि लाशों के टुकड़े रेलवे ट्रैक से एकत्रित करके उन्हें उनके परिवारजनों को सौंपती हैं या फिर उनका अंतिम संस्कार करती हैं। जी हां आज नवरात्रि के द्वितीय दिन महिला फाइटर के रुप में हमनें चुना है हरदा जिले की गीता पांडे को। जिनके जीवन में अचानक दुखद मोड़ तब आया जब उन्होंने एक सड़क हादसे में अपने पति को खो दिया और उस वक्त दुखों का मानों पहाड़ उन पर टूट गया हो। 

गीता ने अपने दुखों को ही ताकत बनाया और फिर दूसरों को दुख और पीड़ा से मुक्ति दिलाने में लग गई। करीब 7 साल तक बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की हरदा जिले की ब्रांड एंबेसडर रहने वाली गीता को मानव सेवा सम्मान से भी सम्मानित किया। बीए सेकेंड ईयर करने वाली गीता को उनके इन्हीं समाजिक योगदान के लिए ईयू के जरिए डाक्ट्रेट की डिग्री भी प्रदान की गई और इस वर्ष वह हरदा जिले में स्वच्छता की ब्रांड एंबेसडर के रुप में कार्य कर रही है।

शवों के टुकड़े इकट्ठा करने में कई बार परिवार तक हट जाते हैं पीछे...
गीता बताती है कि रेलवे में जब कोई हादसा होता तो हर कोई ऐसे शवों के टुकड़ों को एकत्रित करने से मना करता। कई बार परिजन तक पीछे हट जाते थे लेकिन मैं पीछे नहीं हटी और मैंने आज तक के अपने कार्यकाल में करीब 900 से ज्यादा लाशों के टुकड़ों को समेटकर उन्हें उनके परिजनों तक पहुंचाया या अज्ञात होने पर मैंने स्वयं क्रियाकरम किया।

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पति की सड़क हादसे में मौत के बाद जीवन में आया मोड़
दो बेटियों और एक बेटे की मां गीता ने कहा कि पति की सड़क हादसे में मौत के बाद काफी तिरस्कार झेला, मैं एक अकेली औरत परेशानियों से जूझती रही लेकिन हार नहीं मानी , रेलवे में चतुर्थ श्रेणी में चयन हुआ और फिर मैंने अपने परिवार का जिम्मा सर पर लिया। उन्होंने कहा कि पहली बार खंडवा के पास बीड पर गैंगमैन की ट्रेन से कटकर मौत हुई, उनके शव को घर तक पहुंचाया तब से मुझे लगा कि यूं ही किसी शव को लावारिस नहीं छोड़ा जा सकता।

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