Logo
हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट मामले में एक और गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने छठे आरोपी अभिषेक अग्रवाल को देवास के खातेगांव से गिरफ्तार किया है। पांच आरोपियों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। ब्लास्ट के बाद रोज हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं।

भोपाल। हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट मामले में रविवार को एक और गिरफ्तारी हुई। पुलिस ने छठे आरोपी अभिषेक अग्रवाल को देवास के खातेगांव से गिरफ्तार किया है। पांच आरोपी पहले ही पुलिस की गिरफ्त में हैं। इससे पहले शनिवार को पटाखा फैक्ट्री के मैनेजर आशीष तमखाने और अमन तमखाने को खंडवा से पकड़ा गया था। दोनों सगे भाई हैं। हादसे वाले दिन फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल, सोमेश अग्रवाल और सुपरवाइजर मन्नी उर्फ रफीक खान को राजगढ़ जिले के सारंगपुर से पकड़ा गया था।

नहर के पास बोरी में भरे मिले सुतली बम 
बता दें कि पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के बाद से प्रशासन अलर्ट मोड पर है। जिले में चेकिंग अभियान चल रहा है। रविवार को नहर के पास सुतली बम से भरा बोरा मिला है। पलासनेर में नहर के पास में एक बोरी में सुतली बम भरे मिले। मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। इसके बाद इसकी जानकारी पुलिस को दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और बम से भरा बोरे को कब्जे में लिया। 

6 फरवरी को हुआ था पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट
बता दें कि हरदा की पटाखा फैक्ट्री में 6 फरवरी की सुबह 11 बजे ब्लास्ट हुआ था। धमाके से 13 लोगों की मौत हुई है। 200 से ज्यादा लोग घायल हुए। ब्लास्ट के बाद पूरा इलाका वीरान हो गया है। मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख और घायलों को 2-2 लाख मुआवजा देने का सरकार ने ऐलान किया था। 

अफसर भी हैं जिम्मेदार? 

बिना लाइसेंस के चार फैक्ट्रियां चला रहे थे 
इधर ब्लास्ट मामले में एक हैरान करने वाली बात सामने आई है। फैक्ट्री संचालक जितने जिम्मेदार हैं, उनती ही जिम्मेदारी प्रशासन के अधिकारियों की भी है। विस्फोटक नियंत्रक ने फैक्ट्री को पटाखा निर्माण का लाइसेंस नहीं दिया था। आम पटाखा विक्रेताओं की तरह पटाखों को स्टॉक करने का लाइसेंस था। आम लाइसेंस को मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था। राजेश और सोमेश अग्रवाल बिना लाइसेंस के 4 फैक्ट्रियां चला रहे थे। तत्कालीन कलेक्टर ऋषि गर्ग ने 2022 में फ़ैक्ट्री लाइसेंस को सस्पेंड किया था।

फैक्ट्री बेलगाम चलती रही, प्रशासन तमाशा देखता रहा 
तत्कालीन कमिश्नर माल सिंह ने कलेक्टर के आदेश के खिलाफ स्टे दिया था। तत्कालीन एडीएम ने बगैर कलेक्टर की इजाजत के लाइसेंस रिन्यू कर दिया था। कलेक्टर ने लाइसेंस सस्पेंड किया तो तत्कालीन संभागायुक्त ने कलेक्टर के आदेश के विरुद्ध स्टे क्यों दिया?  फैक्ट्री बेलगाम चलती रही और प्रशासन तमाशा देखता रहा। जिम्मेदारों ने कंपनी सील नहीं की। नतीजा, क्लस्टर की तरह बम फटे और लोगों की जान गई।

सभी 9 शर्तों का किया था उल्लंघन 
जानकारी यह भी मिली है कि चार माह पहले एडीएम की जांच में विस्फोट अधिनियम की सभी 9 शर्तों का उल्लंघन मिला था। फैक्ट्री के 19 कमरों में जांच की तो कच्चा माल, निर्माण सामग्री समेत सुतली बम, पटाखे और अन्य मिक्स सामग्री मिली थी। यह करीब 26.80 लाख थी।, जबकि फैक्ट्री को 15 किलो बारूद रखने की ही अनुमति थी। इससे 10 हजार ही सुतली बम बन सकते थे। लेकिन मौके पर पटाखों का जखीरा मिला। इसे फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल ने भी बयान में स्वीकार किया था।

जहां पटाखे बन रहे थे, अग्निशमन यंत्र भी नहीं थे 

  • पहले कमरे में 1.20 लाख नग सुतली मिले। 
  • छठे कमरे में 14.40 लाख मिक्स पटाखे मिले।
  • 7वें कमरे में 9.68 लाख नग पटाखे मिले।
  • 8वें कमरे में 59,830 और 9वें कमरे में 50,400, पटाखे मिले।
  • 11वें कमरे में 26,400 सुतली बम थे।
  • कमरा नंबर 14 में 15,600 वीआईपी सुतली बम मिले।
  • विस्फोटक नियम 2008 के अनुसार, 15 सेमी से अधिक गहरी सीमेंट की ट्रोजिमा भंडार के प्रवेश पर नहीं थी।
  • फैक्ट्री के बाद व अंदर भवन की पहचान संख्या, नाम, मानक और विस्फोटकों की सीमा की जानकारी नहीं लिखी थी।
  • जहां पटाखे बनाए जा रहे थे, वहां अग्निशमन यंत्र नहीं थे।
5379487