Bhopal News : भोपाल के स्मार्ट सिटी रोड स्थित रंगश्री लिटिल बैले ट्रूप में शनिवार को हरिशंकर परसाई जन्मशती समारोह हुआ। इसमें वाराणसी से आए कवि-आलोचक आशीष त्रिपाठी ने परसाई जी के जीवन पर प्रकाश डाला। कहा, परसाई जी को सिर्फ व्यंग्य लेखक के तौर पर सीमित कर देने का प्रयास वैचारिक साजिश है। वह भारतीय फांसीवाद के सांस्कृतिक आधारों और विचारधारा की सबसे गहरी पड़ताल करने वाले लेखक थे।  

आलोचक जयप्रकाश ने कहा, परसाई के लेखन में दो तरह की जनता दिखाई देती है। पहली जनता केंचुआ की तरह है, जो बिना प्रतिरोध किए समर्पण कर देती है और दूसरी उनके आत्मकथ्य के चूहे की तरह है, जो अपना हिस्सा मांगने और संघर्ष का साहस करती है।

कहानी-निबंध के ढांचे को बदला
आलोचक जयप्रकाश ने कहा, हिन्दी आलोचना के सामने परसाई जी आज भी चुनौती हैं। यदि उनकी रचना में निबंध, कहानी नहीं हैं तो क्या है? उन्होंने कहानी या निबंध के स्वीकृत ढांचे को बदलकर उसे अनूठा बनाया है। 

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आधुनिकता की चुनौतियों को पहचाना
जयप्रकाश ने कहा, परसाई ने जनता के इतिहास के साथ ही समाज के अधःपतन का भी इतिहास लिखा। उन्होंने 20वीं शताब्दी में विकसित हो रही आधुनिकता की चुनौतियों को पहचाना। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने की। इस दौरान उन्होंने हरिशंकर परसाई पर लिखी कविता और कुछ संस्मरण सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। 

यह भी रहे मौजूद  
जन्मशती समारोह में रामप्रकाश त्रिपाठी, विजय बहादुर सिंह, सुरेश तोमर, मनोज कुलकर्णी, आशा मिश्रा, संध्या कुलकर्णी, ध्रुव शुक्ल, तरुण भटनागर सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। वरिष्ठ कवि अनिल करमेले ने संचालन और शैलेंद्र शैली ने आभार जताया। 

हरिशंकर परसाई का परिचय 
होशंगाबाद के जमानी गांव में (1924 में) जन्मे हरिशंकर परसाई को उनके धारदार व्यंग्यों की वजह से जाना जाता है। उन्होंने समकालीन राजनीति की खामियों को केंद्र में रखते हुए कई ऐसे व्यंग्य लिखे हैं, जो ऊपर स्तर पर तो पाठकों को हंसाते थे, लेकिन जिनका मर्म तमाम विद्रूपताओं को सामने रखता है।