भोपाल। मप्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित की जाने वाली शरद एवं बसंत व्यख्यानमालाओं का  आरंभ शनिवार से हुआ। हिंदी भवन के सभागार में आयोजित हो रहे  दो दिनी कार्यक्रम के पहले दिन लेखकों के पुरस्कार वितरण के साथ ही शरद व्याख्यानमाला के तहत ‘भारतीय भाषाओं के बीच अंतर्संवाद और अनुवाद’  विषय पर विमर्श भी हुए। कवि-कथाकार संतोष चौबे की अध्यक्षता में डॉ. संजय द्विवेदी, डॉ. श्रीराम परिहार डॉ. खेमसिंह डेहरिया तथा डॉ. रंजना अरगड़े के वक्तव्य हुए। सभी वक्ताओं की राय थी कि भाषाओं की समृद्धि से ही राष्ट्र की समृद्धि का सपना साकार हो सकता है। समारोह के आरंभ में स्वागत् वक्तव्य देते हुए समिति के मंत्री संचालक कैलाशचंद्र पंत ने कहा कि समाज में विमर्श का वातावरण बने इस मंशा से इस तरह के आयोजन किये जाते हैं, समिति के इस प्रयासों को बौद्धिक वर्ग की ओर से अच्छा प्रतिसाद मिला है। सत्रों के संचालन डॉ. संजय सक्सेना और डॉ. अनीता सक्सेना ने किये। सम्मानित विभूतियों की प्रशस्ति का वाचन जया केतकी ने किया। 

सम्मानित हुई विभूतियां
इसके पूर्व पहले चरण में समिति के अध्यक्ष सुखदेव प्रसाद दुबे की अध्यक्षता में विभिन्न लेखकों को सम्मानित किया गया। इसके तहत नरेश मेहता स्मृति वांग्मय सम्मान से  रसायन शास्त्र के विद्वान प्रो. पवन माथुर,  शैलेश मटियानी स्मृति चित्रा-कुमार कथा पुरस्कार से युवा  पत्रकार सारंग उपाध्याय, वीरेन्द्र तिवारी स्मृति रचनात्मक सम्मान पूर्व आयकर अधिकारी आरके पालीवाल, डॉ. सुरेश शुक्ल ‘चन्द्र’ नाट्य पुरस्कार सतीश दवे, प्रभाकर श्रोत्रिय स्मृति आलोचना सम्मान - पुनीता जैन, शंकरशरणलाल बत्ता पौ. आख्यायिका पुरस्कार  कृष्णगोपाल मिश्र तथा  स्व. श्रीमती संतोष बत्ता स्मृति पुरस्कार से  इंदौर की लेखिका रंजना फतेहपुरकर को  सम्मानित किया गया। सम्मान के तहत शॉल,श्रीफल और सम्मान निधि प्रदान की गई।