Lok Sabha Chunav 2024: मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट जीतने भाजपा पूरी ताकत से जुटी है। एक के बाद दिग्गज नेता कमलनाथ के गढ़ में चुनावी सभाएं कर रहे हैं। जेपी नड्डा, अनुराग ठाकुर, विष्णुदेव साय के बाद अब गृहमंत्री अमित शाह खुद छिंदवाड़ा आ रहे हैं। 16 अप्रैल को अमित शाह छिंदवाड़ा में रोड शो करेंगे। बता दें कि मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक सात बार छिंदवाड़ा जा चुके हैं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, मंत्री प्रल्लाद पटेल और भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय छिंदवाड़ा में पैर जमाकर बैठे हैं।
जानें किस, नेता ने कमलनाथ पर कैसे किए वार
छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के दिग्गज नेता चुनावी सभा में कमलनाथ पर बयानों से तीखे वार कर हे हैं। पिछले दिनों छिंदवाड़ा दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कहा था कि छिंदवाड़ा को कमलनाथ से आजाद कराएंगे। CM मोहन यादव ने सौंसर में कहा था कि कमलनाथ 40 साल से यहां समस्या पैदा कर रहे हैं। इस बार जनता ने उन्हें घर बैठाने की तैयारी कर ली है। नारा दिया अबकी बाार छिंदवाड़ा पार। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, नकुलनाथ इस बार क्लीन बोल्ड या हिट विकट होंगे।
भाजपा के नेता ऐसे लगा रहे कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध
छिंदवाड़ा सीट जीतने के लिए भाजपा के नेता पूरी ताकत से जुटे हैं। भाजपा ने पहले कमलनाथ के करीबियों को ही तोड़ लिया। अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह, महापौर विक्रम अहाके, पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना, चौरई से पूर्व विधायक गंभीर सिंह समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल किया। भाजपा के नेता लगातार दौरे कर कांग्रेस के वोट बैंक को ताड़ने में लगे हैं। पिछले चुनाव में नकुलनाथ को लीड वोट में आधे अमरवाड़ा से मिले थे। यह आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीट है। भाजपा ने अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह को पार्टी में शामिल कर लिया है। इससे कांग्रेस के बड़े वोट बैंक में सेंध लग सकती है।
भाजपा को 2014 और 2019 में नहीं मिली सफलता
मध्य प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा दो सीट नहीं जाती पाई थी। गुना-शिवपुरी और छिंदवाड़ा सीट शामिल थी। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 29 में से 28 सीटें जीती, लेकिन छिंदवाड़ा से कांग्रेस के नकुलनाथ चुनाव जीते। इस बार भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 की 29 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।
1980 में पहली बार बने थे सांसद
कमलनाथ कांग्रेस के करिश्माई नेता हैं। 44 साल में उन्होंने 11 चुनाव जीते। भाजपा ने उन्हें घेरने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जैसे दिग्गजों को उतारा है, उनका मजबूत किला नहीं भेद पाए। 77 की उम्र में पहली बार वह भाजपा के सियासी चक्रब्यूह में उलझे दिख रहे हैं। छिंदवाड़ा सीट पर कमलनाथ 1980 में पहली बार सांसद बने। इसके बाद वह 9 बार सांसद रहे। 1997 के उपचुनाव में कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से चुनाव हार गए थे। हालांकि एक साल बाद आम चुनाव में फिर कमलनाथ ने चुनाव जीत लिया। अभी कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट से विधायक हैं। इस सीट पर एक बार उनकी पत्नी अलका नाथ 1996 और बेटे नकुलनाथ 2019 में सांसद बने।
38 फीसदी आदिवासी वोटर
कमलनाथ का छिंदवाड़ा की जनता से चार दशक पुराना रिश्ता है। उनका जनता से भावनात्मक जुड़ाव है। अब वे जनता को उनके छिंदवाड़ा से जुड़ाव की बातें कर रहे हैं। उनको अपने पुराने दिन की याद दिला रहे हैं। पूरा नाथ परिवार चुनाव मैदान में उतर गया है। कमलनाथ भावनात्मक बयानों से आदिवासी वोटरों को साधने में जुटे हैं। छिंदवाड़ा में 38 प्रतिशत यानी साढ़े छह लाख आदिवासी वोटर हैं।