भोपाल। गांधी नगर थाना क्षेत्र में निजी अस्पताल के मैनेजर ने अस्पताल संचालक को 12 लाख रुपए की चपत लगा दी। आरोपी ने छह महीने के भीतर पूरी घटना को अंजाम दिया है। पुलिस ने संचालक की शिकायत पर आरोपी मैनेज के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज कर उसकी तलाश शुरू कर दी है। आरोपी फरार है और उसकी तलाश के लिए पुलिस की टीम सागर उसके निवास पहुंचेगी।

पुलिस के अनुसार डॉ दीपक दीक्षित गांधीनगर में श्री साईं श्रद्धा अस्पताल चलाते हैं। उन्होंने पुलिस को बताया की अस्पताल नया बना है। उन्होंने सागर निवासी अनुज सिंघई को अस्पताल में मैनेजर बतौर रखा था। विश्वास होने के कारण उन्होंने लेनदेन अनुज को लेनदेन संबंधी पूरा काम सौंप दिया। यहां तक की अनुज के पास चेकबुक और मोबाइल बैंकिंग का पासवर्ड भी था। नया अस्पताल होने के कारण कंस्ट्रक्शन से लेकर अन्य लोगों को पैमेंट करने की जिम्मेदारी अनुज की थी। अनुज डॉ. दीक्षित से ब्लैंक चेक पर साइन कराने के बाद उसे अपने खाते में जमा करा लिया।

बंद खाते के चेक लगाने पर पकड़ाया
अस्पताल के सामने स्टैट बैंक ऑफ इंडिया में अस्पताल का खाता था। उक्त खाता डॉ. दीक्षित ने बंद करा दिया। उन्होंने नया दूसरी बैंक में खुलवाया। पुराने खाते की चेकबुक डॉ दीक्षित ने अनुज सिंघई को दी थी। उन्होंने कहा था कि यह चेक बुक एक्सपायर हो गई है और फाड़कर फैंक देना। इसके विपरित अनुज ने उक्त खाते की चेकबुक से तीन चेक एसबीआई ब्रांच में लगा दिए। बैंक से डॉ दीक्षित के पास कॉल गया। बैंक अधिकारी ने कहा कि कि आपका खाता बंद हो चुका है फिर चेक किसलिए लगाए। वे बैंक पहुंचे तो पता चला कि चेक पर उनके साइन नहीं है।

तीन चेक में से एक चेक कराया क्लीयर
संदेह होने पर डॉ दीक्षित नए खाते वाली ब्रांच पहुंचे। वहां पता चला कि अनुज ने तीन चेक लगाए हैं, जिनमें एक चेक क्लीयर हो चुका है। डॉ दीक्षित ने अनुज से पूछताछ की तो अनुज ने ठगी करने की बात स्वीकार ली। वह कहने लगा कि पैसे उसने खर्च कर दिए हैं और वह लोन लेने के बाद पैसा लौटा देगा। हेरा-फेरा के कारण डॉ दीक्षित ने उसे नौकरी से हटा दिया। नौकरी से हटाने के बाद से आरोपी फरार है। उसका कुछ पता नहीं चलने के कारण डॉक्टर दीक्षित ने पुलिस को शिकायती आवेदन दिया था। पुलिस ने आवेदन जांच के बाद आरोपी के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है।