First Revolt Against the British: मध्य प्रदेश का पिंडरा गांव जहां के युवाओं ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आजादी से लगभग 100 साल पहले ही बिगुल फूंक दिया था। यूपी के मेरठ से शुरू हुई 1857 की क्रांति का असर चित्रकूट के इस आदिवासी बहुल्य में भी देखने को मिला। क्रांतिकारी मंगल पांडेय से प्रेरित होकर पिंडरा के हजारों युवा भारत की आजादी के लिए सड़कों पर उतर आए और 109 ग्रामीण शहीद हो गए। 

सतना-चित्रकूट मुख्यमार्ग स्थित पिंडरा गांव में आज भी 1857 की क्रांति की निशानी मौजूद है। यहां स्थित शहीद स्मारक में सभी 109 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम दर्ज हैं। आसपास के लोग राष्ट्रीय महत्व के हर खास मौके पर इनकी शहादत को सलाम करते हैं।  

न्यूयार्क टाइम्स ने किया घटना का जिक्र 
पिंडरा में अंग्रेजों के खिलाफ हुए इस विद्रोह का जिक्र ब्रिटिश लेखक पेर्टिकएंगिल ने न्यूयार्क टाइम्स में 1 अक्तूबर 1857 को प्रकाशित लेख में भी किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि विद्रोह के समय ब्रिटिश शासकों ने ग्रामीणों के घर जला दिए थे। जिससे कई लोग परिवार समेत जिंदा जल गए थे। 

अमर बहादुर और रणपत सिंह ने किया नेतृत्व 
पिंड़रा गांव मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित है, लेकिन इसका ज्यादातर इलाका उत्तर प्रदेश की मानिकपुर तहसील मारकुंडी जंगल से लगा हुआ है। 1857 की क्रांति का आगाज यहां भरत कुंवर अमर बहादुर सिंह और ठाकुर रणपत सिंह के नेतृत्व में हुआ था। हजारों की संख्या में पहली बार अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया, जिससे वह घबरा गए और तैश में आकर ग्रामीणों की बस्ती जला दी थी।  

ये हुए थे शहीद
पिंडरा गांव के शहीद स्मारक में जिन शहीदों के नाम दर्ज हैं, उनमें भारत कुंवर बहादुर सिंह, डा.रणपत सिंह, धाकर बहेलिया, बाबूराम बहेलिया, अयोध्या प्रसाद, हनुमान प्रसाद भूमिहार, पूरन बहेलिया, सरजू बहेलिया, विरजू बहेलिया, नारायण, शंकर सोनी, विशाल बहेलिया, बुद्धि काक्षी, हनुमान प्रसाद, कुंज बाबू, रंजीत पिंडारी आदि शामिल हैं।