Indian Railway: ठंड की दस्तक के साथ कोहरा आना आम बात है। कोहरे और धुंध की वजह से ट्रेनों का लेट हो जाती है। कुछ ट्रेनें घंटे-दो घंटें तो सर्दियों में कुछ घंटे 20 से 22 घंटे तक लेट हो जाती है। कोहरे की वजह से ट्रेनों की रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है। हालांकि इस बार कोहरे से निपटने के लिए भोपाल रेल मंडल ने कमर कस ली है। कोहरे के बीच भी पटरियों पर ट्रेन सरपट दौड़ती रहे, इसके लिए फॉग सेफ डिवाइस का उपयोग किया जा रहा है। भोपाल मंडल में लोको पायलटों को लोको (इंजन) में उपयोग के लिए 341 फॉग सेफ डिवाइस (FSD) दिए गए हैं। बता दें, यह उपकरण सिग्नल की सटीक जानकारी देता है साथ ही अलग स्थानों पर लगे सिग्नल एवं पर दाहिनी ओर लगे सिग्नल को विशेष रूप से चेतावनी के साथ इंगित करता है, जिससे ट्रेनों का संचालन सुरक्षित और निर्बाध रूप से हो सके।
जानें फॉग सेफ डिवाइस कैसे काम करता है
फॉग सेफ डिवाइस एक GPS आधारित उपकरण है, जो लोको पायलट को उनके मार्ग पर सिग्नलों और अन्य प्रमुख स्थानों की सटीक जानकारी देता है।
यह उपकरण सिग्नल की दूरी, और ट्रेन की गति को स्क्रीन पर प्रदर्शित करता है। इसके अलावा, यह लोको पायलट को अलर्ट भी देता है जब ट्रेन किसी सिग्नल के करीब होती है।
फॉग सेफ डिवाइस के उपयोग के लाभ
1. सुरक्षित संचालन: यह लोको पायलट को कोहरे के दौरान भी सिग्नल की स्पष्ट जानकारी प्रदान करता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाती है।
2. समय की बचत: उपकरण के निर्देशों के माध्यम से ट्रेनें सटीक गति और दिशा में चल सकती हैं, जिससे समय की बचत होती है।
3. पायलटों का आत्मविश्वास: FSD का उपयोग लोको पायलटों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करता है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे बेहतर ढंग से ट्रेनों का संचालन कर सकते हैं।
4. यात्रियों की सुरक्षा: यह उपकरण यात्रियों को सुरक्षित और सुगम यात्रा का अनुभव प्रदान करता है।
कोहरे में 75 किमी प्रति घंटे से ज्यादा नहीं होगी रफ्तार
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वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक सौरभ कटारिया ने बताया कि लोको पायलटों को कोहरे के समय फॉग सेफ डिवाइस के साथ ट्रेनों की गति 75 किलोमीटर प्रति घंटे अथवा अपने विवेकानुसार निम्नतम बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।