आशीष नामदेव, भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में आयोजित पांच दिवसीय जनजातीय वैद्य शिविर एवं कार्यशाला का बुधवार को समापन हो गया। समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहकारिता खेल एवं युवक कल्याण कैबिनेट मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि अपने लघु वनों उपज संघ के अध्यक्ष के 6 वर्षीय कार्यकाल में वन मेला को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच गया है। इस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ना होगा। हम सब को सही दिशा दिखाना है और आगे बढ़ना है तो भारतीय दर्शन अख्तियार करना होगा।

इस कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रशासनिक अधिकारी हेमंत बहादुर सिंह परिहार ने दिया एवं अध्यक्षता संग्रहालय के निदेशक प्रोफेसर अमिताभ पांडे ने किया। कार्यक्रम के सह समन्वयक सुधीर श्रीवास्तव ने बताया की व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक पक्ष को ध्यान में रखकर 6000 लोगों ने इस कार्यक्रम को देखा एवं दवाई जड़ी बूटी के बारे में जानकारी प्राप्त की। साथ ही प्रतिदिन सुबह एक से डेढ़ घंटे के बीच पर चर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें उनके व्यावसायिक पक्ष एवं ब्रांडिंग कैसे किया जाए इस पर चर्चा हुई।

राजीव गांधी आयुर्वेद कॉलेज के 49 स्टूडेंट ने मानव संग्रहालय का भ्रमण कर जाना वहां पर पेड़ और पौधे से किस तरह दवा बनाई जा सकती है। कंजी पेड़ के पत्तों के बारे में जानकारी दी। जिसके बारे में स्टूडेंट्स ने जाना। कंजी के पत्तों से तेल तैयार किया जाता है। इतना ही नहीं बल्कि यह भी जड़ी बूटियों में उपयोग होने वाली दवा के लिए ही उपयोग में लाया जाता है।

हमारी संस्कृति में शामिल है आयुर्वेद चिकित्सा
उत्तर प्रदेश के वाराणसी से आए चंदौली के वैद्य हिरामन महाराज ने हरिभूमि से खास बातचीत में कहा कि उनके पास हर तरह की दवाई है, आयुर्वेद चिकित्सा हजारों वर्ष पुरानी होने के साथ ही हमारी संस्कृति में शामिल है। उन्होंने बताया कि वो हस्त रेखा और नाड़ी देखकर पता करते हैं कि व्यक्ति को किस तरह की बीमारी है। बीमारी के आधार पर ही जड़ी बूटी की दवाई दी जाती है। उन्होंने कहा कि अगर कुछ वर्ष ही पीछे चले जाए तो भी आयुर्वेद चिकित्सा सबसे ऊपर रहा था, जिसमें छोटी से चोट धुल और जंगल की मिट्टी, जंगली पौधे-पेड़ों के पत्ते लगाने से ही लोगों की चोट ठीक हो जाया करती थी, ज्यादा सर्दी होने पर लोग सर्दी से परेशान हो जाते है और कमजोरी आ जाती है, जबकि आयुर्वेद चिकित्सा में इतना ताकत है कि एक बार सूंघने से ही सर्दी ठीक हो सकती है।

राजनीति में जाना चाहता था, भाई के कहने पर खुद के लिए दवा बनाने के चलते वैद्य बना
वैद्य हिरामन महाराज ने बताया कि वो करीब 35 सालों से लोगों को जड़ी बूटी की दवा से ठीक कर रहा हैं। गोंड जनजाति से हूं, मेरे पिता और भाई आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े हैं और एक बार जब मैं बीमार हुआ तब भाई ने मुझे अपने आप से दवा बनाने के लिए कहा और मैं उस वक्त अपने हाथों से जड़ी बूटियों से दवा तैयार की जिससे मैं ठीक हुआ। उसके बाद से ही मैं वैद्य बन पाया हूं। पहले मैं राजनीति में जाना चाहता था, मैं जिला पंचायत चुनाव भी लड़ा, लेकिन सफल नहीं हुआ। उसके बाद भाई ने जब मुझे अपना इलाज स्वयं से करने के लिए कहा तब से ही मैं जड़ी बूटियों से दवा बनाना सीखा।